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This Article is From Sep 08, 2021

पीएचडी और मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं : तालिबान के नए शिक्षा मंत्री का बयान

तालिबान के शिक्षा मंत्री के ऐसे बयान पर एक यूजर ने लिखा कि शिक्षा के बारे में इस तरह के शर्मनाक विचार, ऐसे लोगों का सत्ता में होना विशेष रूप से युवाओं और बच्चों के लिए विनाशकारी है.

पीएचडी और मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं  : तालिबान के नए शिक्षा मंत्री का बयान
तालिबान के नए शिक्षामंत्री ने दिया अजीबोगरीब बयान
नई दिल्ली/काबुल:

तालिबान (Taliban) को अफगानिस्तान पर कब्जा किए अभी एक महीना पूरा नहीं हुआ, इस बीच मंगलवार को नए मंत्रिमंडल का ऐलान किया गया है, जिसके तहत अफगानिस्तान में सरकार चलाई जाएगी.  तालिबान के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने काबुल पर 15 अगस्त के कब्जे के बाद पहली बार सार्वजनिक बयान दिया कि अफगानिस्तान में शासन और जीवन से जुड़े सभी मामले शरिया कानूनों के तहत चलाए जाएंगे. भले ही इस कट्टरपंथी समूह ने विश्व में मान्यता प्राप्त करने के लिए नए, बेहतर और उदार नजरिये का वादा किया है, लेकिन वास्तविकता और उसके नेताओं की घोषणाओं को देखते हुए इस पर अभी से ही सवाल उठने लगे हैं.

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें तालिबान के शिक्षा मंत्री शेख मौलवी नुरुल्ला मुनीर ने उच्च शिक्षा की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए हैं. किसी पीएचडी या मास्टर डिग्री की आज वैल्यू नहीं हैं. आप देख रहे हैं कि मुल्ला और तालिबान जो आज सत्ता में हैं, उनके पास पीएचडी, एमए या हाईस्कूल की डिग्री नहीं है, लेकिन ये लोग सबसे महान हैं. शेख मौलवी नुरुल्ला मुनीर ये वीडियो में कह रहे हैं. जैसा कि माना जा रहा था, इस टिप्पणी की भारी आलोचना की जा रही है. इस पर एक यूजर ने कमेंट किया कि ये आदमी शिक्षा के बारे में क्यों बात कर रहा है. एक यूजर ने लिखा कि बताइये उच्च शिक्षामंत्री का कहना है कि उच्च शिक्षा इसके लायक नहीं है. एक ने लिखा कि शिक्षा के बारे में इस तरह के शर्मनाक विचार, ऐसे लोगों का सत्ता में होना विशेष रूप से युवाओं और बच्चों के लिए विनाशकारी है.

गौरतलब है कि तालिबान ने नई सरकार के लिए प्रमुख पदों की घोषणा कर दी. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को नई सरकार का नेता बनाया गया है जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध सूची में रखा हुआ है. वहीं तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर उनके डिप्टी होंगे. तालिबान के आंतरिक कामकाज और नेतृत्व लंबे समय से गोपनीय रहे हैं, तब भी जब उन्होंने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया था. वैसे अभी भी कई कैबिनेट पदों की घोषणा बाकी है. 

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