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लड़कों संग तैराकी के लिए बेटियों को भेजना बताया था आस्था के विपरीत.
प्रशासन का फैसला बच्चों के सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देगा- अदालत
बच्चियां पूरे शरीर के स्विमसूट 'बुर्कीनी' में तैराकी सीख सकती हैं- अदालत
यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने कहा कि स्विट्जरलैंड के शहर बासेल के प्रशासन की ओर से मुस्लिम दंपति की दो बेटियों को रियायत देने से इंकार करना उचित है. तुर्क-स्विस दंपति ने दलील थी कि लड़कों के साथ तैराकी के लिए बेटियों को भेजना उनकी आस्था के विपरीत है.
अदालत ने कहा कि प्रशासन का फैसला बच्चों के सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देने की जरूरत के लिहाज से उचित है. फ्रांस के स्ट्रॉसबर्ग आधारित इस अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'स्कूल सामाजिक एकीकरण की प्रक्रिया में विशेष भूमिका निभाते हैं खासकर उन स्थानों पर अहम भूमिका निभाते हैं, जहां विदेशी मूल के बच्चे हैं'. उसने कहा कि 'तैराकी की कक्षाएं न सिर्फ तैराकी सीखने के लिए हैं, बल्कि इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यह ऐसी गतिविधि है, जिसमें दूसरे कई छात्र भी भाग लेते हैं'. अदालत ने पाया कि बासेल के प्रशासन ने लड़कियों के माता-पिता की चिंताओं को दूर करने का पूरा प्रयास किया और यहां तक इजाजत दी कि बच्चियां पूरे शरीर के स्विमसूट 'बुर्कीनी' में तैराकी सीख सकती हैं.
यह मामला अजीज उस्मानोगलू और उनकी पत्नी सहबत कोकाबास ने दर्ज कराया था, जिनकी बेटियां 1999 और 2011 में पैदा हुईं. स्विस अदालतों द्वारा अपीलें खारिज होने के बाद वे स्ट्रॉसबर्ग स्थित मानवाधिकार अदालत में यह मामला ले गए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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