अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को रोजगार आधारित कई अमेरिकी वीज़ा प्रोग्राम पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है. कोरोनावायरस सै फैली कोविड-19 महामारी के बीच उनके इस फैसले से अमेरिका में नौकरी करने की आशा रखने वाले हजारों लोगों की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है. अमेरिका स्थित इंटरनेट की दिग्गज कंपनी Google के भारतीय मूल के CEO सुंदर पिचाई ने ट्रंप सरकार के इस फैसले पर निराशा जताई है.
सुंदर पिचाई ने एक ट्वीट कर कहा कि उन्हें ट्रंप के इस फैसले से निराशा हुई है और उनकी कंपनी हमेशा प्रवासियों को मौक देने के लिए तैयार रहेगी. पिचाई ने अपने ट्वीट में लिखा, 'प्रवासियों ने अमेरिका की आर्थिक सफलता में बड़ा योगदान दिया है. इनकी वजह से अमेरिका टेक इंडस्ट्री में ग्लोबल लीडर बना है, वहीं इनकी वजह से ही गूगल आज जो है, वो है. आज के फैसले से निराशा हुई है- हम प्रवासियों के साथ खड़े होना जारी रखेंगे और उनके लिए मौके बनाते रहेंगे.'
Immigration has contributed immensely to America's economic success, making it a global leader in tech, and also Google the company it is today. Disappointed by today's proclamation - we'll continue to stand with immigrants and work to expand opportunity for all.
— Sundar Pichai (@sundarpichai) June 22, 2020
बता दें कि सोमवार को ट्रंप ने टेक प्रोफेशनल्स और उनके परिवार को जारी किए जाने वाले H1-B and H-4 वीज़ा, कंपनी में इंटरनल ट्रांसफर के लिए जारी किए जाने वाले L वीज़ा और वर्क एंड स्टडी के लिए जारी किए जाने वाले J वीज़ा प्रोग्राम को इस साल के अंत तक सस्पेंड कर दिया है. इस अवधि में नए ग्रीन कार्ड जारी करने पर भी रोक लगा दी गई है. व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने सोमवार को बताया है कि ट्रंप ने इस साल के अंत तक एच-1 बी वीजा समेत दूसरी प्रक्रियाओंको अस्थाई तौर पर सस्पेंड करने के लिए आदेश जारी किया है. इससे भारतीय IT पेशेवरों पर असर पड़ सकता है क्योंकि उनके बीच इसकी सबसे ज्यादा मांग है.
दरअसल, अमेरिका का लक्ष्य अब मेरिट सिस्टम पर वीज़ा जारी करने का है. ट्रंप प्रशासन अपने इमिग्रेशन पॉलिसी में बड़े बदलाव लाने पर काम कर रहा है. उनका जोर अधिक कुशल लोगों और ज्यादातर अमेरिकी नागरिकों को नौकरी देने पर है, जिसके चलते इन वीज़ा प्रोग्राम्स पर रोक लगा दी गई है. व्हाइट हाउस ने कहा कि इन सुधारों के तहत, H-1B वीजा कार्यक्रम में उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्हें काफी ज्यादा वेतन की पेशकश की जा रही है. इसके अलावा, ट्रंप सरकार सभी खामियों को भी दूर करेगी. जिसका फायदा उठाकर कंपनियां अमेरिकी कामगारों की जगह सस्ते विदेश कर्मचारी रखते हैं.
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