श्रीलंका (Sri Lanka) के सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों (Anti-Government Protesters) ने गुरुवार को कहा है कि वो सरकारी परिसरों पर अपना कब्जा छोड़ रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने गंभीर आर्थिक संकट के दौरान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सबक सिखाने की अपनी कोशिश जारी रखने की बात दोहराई. प्रदर्शनकारियों ने सप्ताहंत पर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था, जिसके कारण राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) को बुधवार को मालदीव भागना पड़ा. साथ ही प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickramasinghe) के दफ्तर पर भी धावा बोल दिया था.
मालदीव भागने के बाद राजपक्षे ने वादा किया था कि वो बुधवार को इस्तीफा दे देंगे लेकिन बुधवार को ऐसी कोई घोषणा नहीं आई. लेकिन अब राष्ट्रपति के सिंगापुर भागने की भी खबर आ रही है. जिस प्रधानमंत्री को राजपक्षे ने अपनी अनुपस्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर चुना उसने सुरक्षा बलों से कहा था कि कानून-व्यवस्था लागू करने के लिए जो बन सके वो करें.
"हम राष्ट्रपति भवन से शांतिपूर्ण तरीके से वापस जा रहे हैं. राष्ट्रपति सचिवालय और प्रधानमंत्री के दफ्तर से तुरंत वापसी हो रही है लेकिन हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे." विरोध प्रदर्शनकारियों की प्रवक्ता ने यह कहा.
एक बड़े बौद्ध भिक्षु , जो इस अभियान का समर्थन कर रहे हैं, उन्होंने इससे पहले कहा था कि 200 साल पुराने राष्ट्रपति के महल को अधिकारियों को लौटा दिया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि बेशकीमती कला और कलाकृतियों को सहेजा जाए."
बौद्ध भिक्षु ओमाल्पे सोबिथा ने रिपोटर्स से कहा, यह इमारत राष्ट्रीय धरोहर है और इसकी सुरक्षा होनी चाहिए. इसका ऑडिट होना चाहिए और इसे सरकार को लौटा देना चाहिए."
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