फाइल फोटो
संयुक्त राष्ट्र:
भारत ने चेताया है कि कुछ देशों को आतंकवाद का इस्तेमाल 'कार्ड' के रूप में नहीं करना चाहिए और उसने रेखांकित किया कि यह अंतरराष्ट्रीय खतरा है जिससे राष्ट्रीय रणनीति साधने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने 'यूएन ग्लोबल काउंटर-टेरेरिज्म स्ट्रैटेजी' को संबोधित करते हुए कहा कि देश आतंकवाद से पैदा खतरों से निपट रहे हैं, ऐसे में ''हमें अपनी व्यक्तिगत शांति हासिल करने के लिए ऐसा कोई समझौता करने की इच्छा से बचना चाहिए जिससे आतंकवादी किसी ओर जगह की ओर मुड़ जाते हैं.''
उन्होंने कहा, ''हमें देशों पर यह दबाव बनाने के अपने प्रयास तेज करने चाहिए कि वे राष्ट्रों के खेल में आतंकवाद का कार्ड की तरह इस्तेमाल करने से बचे. आतंकवादियों जैसे राज्येतर तत्व वैश्विक स्तर पर सोचते हैं, हम देशों के प्रतिनिधि केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही सोचते रहते हैं.'' अकबरूद्दीन ने ''अच्छे और बुरे या आपके और मेरे'' के आधार पर आतंकवादियों के बीच भेदभाव करने के खतरों के खिलाफ चेताया और कहा कि आतंकवाद एक अंतरराष्ट्रीय खतरा है जिससे राष्ट्रीय रणनीति साधने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
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उन्होंने कहा, ''हमें आतंकवाद के प्रायोजक देश को हतोत्साहित करने के अलावा और भी कदम उठाने चाहिए और इससे निपटने के लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग तंत्र बनाना चाहिए. यदि सहयोग बढ़ाना है तो संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर-सरकारी संगठनों को भी मजबूत किए जाने की आवश्यकता है ताकि इस खतरों से मजबूती से निपटा जा सके.'' अकबरूद्दीन ने कहा कि आतंकवादियों के खतरों से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक सीमाओं की सूची लंबी और स्पष्ट है.
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को प्रशिक्षण एवं वित्तीय मदद कहां से मिलती है, इस प्रकार की चिंताओं के लिए ''ईमानदार आत्मविश्लेषण'' की आवश्यकता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, ''हमें देशों पर यह दबाव बनाने के अपने प्रयास तेज करने चाहिए कि वे राष्ट्रों के खेल में आतंकवाद का कार्ड की तरह इस्तेमाल करने से बचे. आतंकवादियों जैसे राज्येतर तत्व वैश्विक स्तर पर सोचते हैं, हम देशों के प्रतिनिधि केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही सोचते रहते हैं.'' अकबरूद्दीन ने ''अच्छे और बुरे या आपके और मेरे'' के आधार पर आतंकवादियों के बीच भेदभाव करने के खतरों के खिलाफ चेताया और कहा कि आतंकवाद एक अंतरराष्ट्रीय खतरा है जिससे राष्ट्रीय रणनीति साधने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
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उन्होंने कहा, ''हमें आतंकवाद के प्रायोजक देश को हतोत्साहित करने के अलावा और भी कदम उठाने चाहिए और इससे निपटने के लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग तंत्र बनाना चाहिए. यदि सहयोग बढ़ाना है तो संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर-सरकारी संगठनों को भी मजबूत किए जाने की आवश्यकता है ताकि इस खतरों से मजबूती से निपटा जा सके.'' अकबरूद्दीन ने कहा कि आतंकवादियों के खतरों से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक सीमाओं की सूची लंबी और स्पष्ट है.
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को प्रशिक्षण एवं वित्तीय मदद कहां से मिलती है, इस प्रकार की चिंताओं के लिए ''ईमानदार आत्मविश्लेषण'' की आवश्यकता है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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