कैप्टन सिमरतपाल को पिछले साल इस मामले में अस्थायी धार्मिक रियायत मिल गई थी।
न्यूयॉर्क:
अपनी तरह के पहले मामले के तहत एक सिख-अमेरिकी सैनिक ने अमेरिकी सेना पर यह आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है कि उसे उसके धर्म के कारण कुछ ऐसे 'भेदभावपूर्ण' परीक्षणों से होकर गुजरना पड़ता है जिससे अमेरिकी सेना का कोई अन्य सैनिक नहीं गुजरता। कैप्टन सिमरतपाल सिंह (28) को पिछले साल दिसंबर में अमेरिकी सेना में अपनी सेवाएं देने के लिए एक अस्थायी धार्मिक रियायत मिल गई थी। इसके तहत उन्हें अपनी सेवा के दौरान सिख पगड़ी, दाढ़ी और लंबे केश रखने की अनुमति मिल गई थी।
सिंह का पक्ष रख रही अंतरराष्ट्रीय विधि कंपनी मैकडेर्मोट विल एंड एमेरी ने एक बयान में कहा कि यह दुर्लभ रियायत 31 मार्च तक जारी रहनी थी लेकिन अमेरिकी सेना ने हाल ही में सिंह को आदेश दिया कि वह 'सेना में बने रहने के लिए असाधारण, मानकेतर अतिरिक्त परीक्षण' के लिए पहुंचें। कंपनी ने सिख कोएलिशन और बैकेट फंड फॉर रिलीजियस लिबर्टी के साथ मिलकर सिंह की ओर से रक्षा मंत्रालय के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। सिंह को अफगानिस्तान में सड़कों से विस्फोटक हटाने के लिए ब्रांज स्टार मिल चुका है। इसके अलावा विभिन्न पदों पर रहने के दौरान वे अन्य सैन्य पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं।
विधि कंपनी ने कहा कि सिंह को तीन दिन तक ऐसे परीक्षणों के लिए अलग रहना पड़ता है, जिनसे कभी किसी अमेरिकी सैनिक को होकर नहीं गुजरना पड़ा है। इनमें पूर्व में सेना में शामिल रहे सिख सैनिक और चिकित्सीय कारणों के चलते दाढ़ी रखने वाले सैनिक भी शामिल हैं। द न्यूयार्क टाइम्स ने कहा कि इन परीक्षणों का उद्देश्य यह तय करना है कि उनका हेलमेट उनके लंबे बालों पर फिट आएगा या नहीं और उनका गैस मास्क उनके मुंह पर लग पाएगा या नहीं। किसी सिख अधिकारी की ओर से दायर अपनी तरह के इस पहले मुकदमे में यह मांग की गई है कि अमेरिकी सेना सिंह की सिख पगड़ी, लंबे बालों और दाढ़ी को रियायत देना जारी रखे और 'इस पक्षपाती एवं भेदभावपूर्ण' परीक्षण पर रोक लगाए।
मैकडेर्मोट विल एंड एमेरी में सहयोगी अमनदीप सिद्धू ने कहा, 'चार साल से हम इस भरोसे के चलते मुकदमा करने से बच रहे थे कि अमेरिकी सेना अंतत: सही चीज ही करेगी।' उन्होंने कहा, 'अमेरिकी संविधान एवं धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षण कानून स्पष्ट करता है कि कैप्टन सिंह को सेना में अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है और हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अदालत इसपर सहमत होगी।' अस्थायी रियायत मिलने पर सिंह ने दिसंबर में कहा था, 'मेरी सिख पहचान और मेरे देश के प्रति सेवा करने में मुझे बहुत गर्व होता है।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
सिंह का पक्ष रख रही अंतरराष्ट्रीय विधि कंपनी मैकडेर्मोट विल एंड एमेरी ने एक बयान में कहा कि यह दुर्लभ रियायत 31 मार्च तक जारी रहनी थी लेकिन अमेरिकी सेना ने हाल ही में सिंह को आदेश दिया कि वह 'सेना में बने रहने के लिए असाधारण, मानकेतर अतिरिक्त परीक्षण' के लिए पहुंचें। कंपनी ने सिख कोएलिशन और बैकेट फंड फॉर रिलीजियस लिबर्टी के साथ मिलकर सिंह की ओर से रक्षा मंत्रालय के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। सिंह को अफगानिस्तान में सड़कों से विस्फोटक हटाने के लिए ब्रांज स्टार मिल चुका है। इसके अलावा विभिन्न पदों पर रहने के दौरान वे अन्य सैन्य पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं।
विधि कंपनी ने कहा कि सिंह को तीन दिन तक ऐसे परीक्षणों के लिए अलग रहना पड़ता है, जिनसे कभी किसी अमेरिकी सैनिक को होकर नहीं गुजरना पड़ा है। इनमें पूर्व में सेना में शामिल रहे सिख सैनिक और चिकित्सीय कारणों के चलते दाढ़ी रखने वाले सैनिक भी शामिल हैं। द न्यूयार्क टाइम्स ने कहा कि इन परीक्षणों का उद्देश्य यह तय करना है कि उनका हेलमेट उनके लंबे बालों पर फिट आएगा या नहीं और उनका गैस मास्क उनके मुंह पर लग पाएगा या नहीं। किसी सिख अधिकारी की ओर से दायर अपनी तरह के इस पहले मुकदमे में यह मांग की गई है कि अमेरिकी सेना सिंह की सिख पगड़ी, लंबे बालों और दाढ़ी को रियायत देना जारी रखे और 'इस पक्षपाती एवं भेदभावपूर्ण' परीक्षण पर रोक लगाए।
मैकडेर्मोट विल एंड एमेरी में सहयोगी अमनदीप सिद्धू ने कहा, 'चार साल से हम इस भरोसे के चलते मुकदमा करने से बच रहे थे कि अमेरिकी सेना अंतत: सही चीज ही करेगी।' उन्होंने कहा, 'अमेरिकी संविधान एवं धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षण कानून स्पष्ट करता है कि कैप्टन सिंह को सेना में अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है और हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अदालत इसपर सहमत होगी।' अस्थायी रियायत मिलने पर सिंह ने दिसंबर में कहा था, 'मेरी सिख पहचान और मेरे देश के प्रति सेवा करने में मुझे बहुत गर्व होता है।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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