प्रतीकात्मक फोटो
वाशिंगटन:
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्षयान 'कैसिनी' ने शनि के उपग्रह टाइटन के दक्षिण ध्रुव वाले हिस्से में बर्फीले पदार्थ के नए बादलों की खोज की है। टाइटन के वायुमंडल में ट्रोपोस्फेयर के ऊपर स्थिर वातावरण वाले समताप मंडल के निचले से मध्य हिस्से में, जो मौसम के लिहाज से सक्रिय होता है, बर्फीले पदार्थों का बादल पाए जाने का मतलब है कि शनि ग्रह के सबसे बड़े उपग्रह टाइटन पर भीषण ठंड पड़ने वाली है।
कैसिनी इससे पहले टाइटन के दक्षिणी ध्रुव से 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक अन्य बर्फीले बादल की खोज पहले ही कर चुका है। इस बर्फीले बादल को पहली बार 2012 में देखा गया और इसे किसी हिमपर्वत की चोटी बताया गया था। लेकिन इस बार समताप मंडल के निचले स्तर में एक विशालकाय बर्फीले बादल की खोज हुई है, जो 200 किलोमीटर की ऊंचाई पर फैला हुआ है।
कैसिनी के इन्फ्रारेड उपकरण 'कंपोजिट इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर' (सीआईआरएस) ने इस नए बर्फीले बादल की खोज की। नासा के अनुसार, खोजे गए इस नए बादल का घनत्व कम है तथा पृथ्वी पर होने वाले कोहरे के समान है, लेकिन शीर्ष पर यह सपाट है। मैरीलैंड स्थित नासा के गोदार स्पेस फ्लाइट सेंटर के कैरी एंडरसन के अनुसार, 'जब हमने इन्फ्रारेड डाटा देखा तो हमें यह बर्फीला बादल दिखाई दिया। ऐसा बर्फीला बादल इससे पहले कभी नहीं देखा गया। वास्तव में इसने हमें घोर आश्चर्य में डाल दिया।'
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी पर जिस तरह वर्षा बादलों का निर्माण होता है, टाइटन पर यह बर्फीला बादल उस प्रक्रिया के तहत नहीं बना है। टाइटन पर पाए गए बर्फीले बादल में हाइड्रोजन, कार्बन और नाइट्रोजन सहित कई पदार्थों के कण मौजूद हैं।
कैसिनी इससे पहले टाइटन के दक्षिणी ध्रुव से 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक अन्य बर्फीले बादल की खोज पहले ही कर चुका है। इस बर्फीले बादल को पहली बार 2012 में देखा गया और इसे किसी हिमपर्वत की चोटी बताया गया था। लेकिन इस बार समताप मंडल के निचले स्तर में एक विशालकाय बर्फीले बादल की खोज हुई है, जो 200 किलोमीटर की ऊंचाई पर फैला हुआ है।
कैसिनी के इन्फ्रारेड उपकरण 'कंपोजिट इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर' (सीआईआरएस) ने इस नए बर्फीले बादल की खोज की। नासा के अनुसार, खोजे गए इस नए बादल का घनत्व कम है तथा पृथ्वी पर होने वाले कोहरे के समान है, लेकिन शीर्ष पर यह सपाट है। मैरीलैंड स्थित नासा के गोदार स्पेस फ्लाइट सेंटर के कैरी एंडरसन के अनुसार, 'जब हमने इन्फ्रारेड डाटा देखा तो हमें यह बर्फीला बादल दिखाई दिया। ऐसा बर्फीला बादल इससे पहले कभी नहीं देखा गया। वास्तव में इसने हमें घोर आश्चर्य में डाल दिया।'
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी पर जिस तरह वर्षा बादलों का निर्माण होता है, टाइटन पर यह बर्फीला बादल उस प्रक्रिया के तहत नहीं बना है। टाइटन पर पाए गए बर्फीले बादल में हाइड्रोजन, कार्बन और नाइट्रोजन सहित कई पदार्थों के कण मौजूद हैं।
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