जापान (Japan) में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले शिंजो आबे (Ex PM Shinzo Abe) की 8 जुलाई को एक चुनाव प्रचार के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, जापान के 90 साल के राजनैतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था. इसके बाद जापान की मौजूदा सरकार ने 27 सितंबर को शिंजो आबे का राजकीय अंतिम संस्कार (State Funeral) किए जाने की घोषणा की थी. एक समय शिंजो आबे की सरकार में मंत्री रह चुके प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (Fumio Kishida) को लगा होगा कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का अंतिम संस्कार लोकतंत्र के लिए लोगों को एक जुट करने का मौका होगा लेकिन अब इस योजना से जनता बंट गई है और उनके पूर्व नेता का एजेंडा भी खतरे में है.
शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार पर करीब 1.7 बिलियन येन (करीब 12 मिलियन डॉलर) का खर्चा आने की बात कही जा रही है. और अब प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को इस कार्यक्रम को रोकने के लिए याचिकाओं, विरोध प्रदर्शनों और अदालत में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार की तरफ से शिंजो आबे के लिए हो रहे कार्यक्रम के खर्चे की वजह से आलोचक नाराज है. उनका कहना है कि जापान की सरकार पर पहले ही भारी कर्जा है और सरकार इस पैसे को कहीं बेहतर जगह पर प्रयोग कर सकती है. योमियूरी अखबार के अनुसार, साल 1967 में पूर्व प्रधानमंत्री शिगेरू योशिदा के लिए राजकीय अंतिम संस्कार आयोजित किया गया था. इस पर करीब 18 मिलियन येन का खर्चा हुआ था. यह आज के 70 मिलियन के बराबर है.
इसके साथ ही आबे और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अधिकारियों के साउथ कोरिया के यूनिफिकेशन चर्च से जुड़े होने की खबरों ने इस आयोजन का विरोध और भड़का दिया है. इस चर्च के खिलाफ जापान में पैसा इकठ्ठा करने और बाकी कई गतिविधियों के लिए मुकदमें लंबित हैं.
इस विवाद के बाद LDP सदस्यों से यूनिफिकेश चर्च के साथ संबंध तोड़ने की मांग की जा रही है. किशिदा ने जनता की चिंताओं को देखते हुए पिछले महीने मंत्रीमंडल में भी बदलाव किया था. लेकिन हाल ही में हुआ सर्वे दिखाता है कि इस राजकीय अंतिम संस्कार का बड़ी संख्या में लोग विरोध कर रहे हैं और अक्टूबर में चुने जाने के बाद से प्रधानमंत्री के लिए समर्थन सबसे निचले स्तर पर है. जापान के NHK के अनुसार, इस कार्यक्रम के खिलाफ पिछले महीने 4 विरोध हुए थे. संसद के बाहर हुए एक विरोध में करीब 4000 लोग पहुंचे थे. एक ऑनलाइन विरोध याचिका पर करीब 2,80,000 लोगों ने दस्तखत करते हुए मांग की है कि इस कार्यक्रम को रद्द किया जाए.
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