बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर एक और तीखा हमला किया तथा उन पर एक ऐसे ‘‘अलोकतांत्रिक समूह'' का नेतृत्व करने का आरोप लगाया, जिसकी लोगों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है. ‘विजय दिवस' की पूर्व संध्या पर एक बयान में हसीना ने यूनुस को ‘‘फासीवादी'' कहा और आरोप लगाया कि उनके नेतृत्व वाली सरकार का मुख्य उद्देश्य मुक्ति संग्राम और मुक्ति समर्थक ताकतों की भावना को दबाना है.
बांग्लादेश 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाता है. 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ 13 दिन के युद्ध के बाद भारतीय सेना और ‘मुक्ति वाहिनी' की संयुक्त सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया. अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के चलते हसीना को देश छोड़कर भारत आना पड़ा था.
हसीना ने अपने बयान में कहा कि ‘‘राष्ट्र विरोधी समूहों'' ने असंवैधानिक तरीके से सत्ता पर कब्जा कर लिया है. उन्होंने कहा, ‘‘फासीवादी यूनुस के नेतृत्व वाले इस अलोकतांत्रिक समूह की जनता के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है.'' उन्होंने कहा, ‘‘वे सत्ता पर कब्जा कर रहे हैं और सभी जन कल्याण कार्यों में बाधा डाल रहे हैं.''
हसीना ने यूनुस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बांग्लादेश के लोग बढ़ती कीमतों के बोझ तले दबे हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि यह सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई नहीं है, इसलिए लोगों के प्रति उनकी कोई जवाबदेही नहीं है. उनका मुख्य उद्देश्य मुक्ति संग्राम और मुक्ति समर्थक ताकतों की भावना और उनकी आवाज को दबाना है.'
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