काबुल:
अफ़ग़ानिस्तान के बाग़लान प्रांत से सात भारतीय इंजीनियरों को अगवा कर लिया गया है. ये सभी इंजीनियर उत्तरी बाग़लान प्रांत में एक पावर प्लांट में काम कर रहे थे. इंजीनियर एक निजी कंपनी से जुड़े हुए थे जो पावर प्लांट में काम कर रही थी. विदेश मंत्रालय ने इस ख़बर की पुष्टि करते हुए कहा है कि इंजीनियरों की रिहाई के लिए भारत सरकार लगातार अफ़ग़ानिस्तान सरकार के संपर्क में है. इस बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है.
उत्तर अफ़ग़ानिस्तान के बाग़लान प्रांत के पुल-ए-खोमरी शहर के पास के बाग़-ए-शमल गांव से रविवार को 6-7 भारतीयों को अगवा करने की ख़बर आई. ये सभी इंजीनियर हैं और प्राइवेट कंपनी KEC में काम करते हैं. इस कंपनी को 2013 में चिमताला और काबुल के बीच 220KV का पावर ट्रांसमिशन लाइन बनाने का ठेका मिला था. इस घटना की पुष्टि करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि "हमें अफ़ग़ानिस्तान के बाग़लान प्रांत से भारतीयों के अगवा होने की जानकारी है. हम अफ़ग़ानी अधिकारियों से संपर्क में हैं और बाक़ी जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं."
अपहरण की ज़िम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है. पर इस इलाके में तालिबान का ज़ोर है. वे कई बर पावर प्रोजेक्ट को निशाना भी बना चुके हैं. स्थानीय अफ़ग़ान अधिकारी इस अपहरण के लिए तालिबान को ज़िम्मेदार मान रहे हैं. हांलाकि इस वक्त अफ़ग़ानिस्तान में ISIS समेत कई छोटे बड़े आतंकी संगठन सक्रिय हैं इसलिए भारत को इन नागरिकों की सकुशल वापसी के लिए फूंक फूंक कर कदम रखना होगा.
इसके पहले 2014 में कैथोलिक प्रीस्ट फ़ादर ऐलेक्सिस प्रेम कुमार को हेरात से अगवा किया गया था और 2015 में छोड़ा गया. आगा खान फ़ाउंडेशन में काम करने वाली एड वर्कर जूडिथ डिसूज़ा को 2016 में काबुल से अगवा किया गया था पर एक महीने में छुड़ा ली गई थीं.
उत्तर अफ़ग़ानिस्तान के बाग़लान प्रांत के पुल-ए-खोमरी शहर के पास के बाग़-ए-शमल गांव से रविवार को 6-7 भारतीयों को अगवा करने की ख़बर आई. ये सभी इंजीनियर हैं और प्राइवेट कंपनी KEC में काम करते हैं. इस कंपनी को 2013 में चिमताला और काबुल के बीच 220KV का पावर ट्रांसमिशन लाइन बनाने का ठेका मिला था. इस घटना की पुष्टि करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि "हमें अफ़ग़ानिस्तान के बाग़लान प्रांत से भारतीयों के अगवा होने की जानकारी है. हम अफ़ग़ानी अधिकारियों से संपर्क में हैं और बाक़ी जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं."
अपहरण की ज़िम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है. पर इस इलाके में तालिबान का ज़ोर है. वे कई बर पावर प्रोजेक्ट को निशाना भी बना चुके हैं. स्थानीय अफ़ग़ान अधिकारी इस अपहरण के लिए तालिबान को ज़िम्मेदार मान रहे हैं. हांलाकि इस वक्त अफ़ग़ानिस्तान में ISIS समेत कई छोटे बड़े आतंकी संगठन सक्रिय हैं इसलिए भारत को इन नागरिकों की सकुशल वापसी के लिए फूंक फूंक कर कदम रखना होगा.
इसके पहले 2014 में कैथोलिक प्रीस्ट फ़ादर ऐलेक्सिस प्रेम कुमार को हेरात से अगवा किया गया था और 2015 में छोड़ा गया. आगा खान फ़ाउंडेशन में काम करने वाली एड वर्कर जूडिथ डिसूज़ा को 2016 में काबुल से अगवा किया गया था पर एक महीने में छुड़ा ली गई थीं.
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