बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (फाइल फोटो)
ढाका:
पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों के खिलाफ कथित 'निंदात्मक टिप्पणियां' करने पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री एवं विपक्ष की नेता बेगम खालिदा जिया के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। एक अदालती अधिकारी ने बताया, 'उनकी गिरफ्तारी की अपील करते हुए सोमवार सुबह मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (ढाका) की अदालत में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।'अधिकारी ने बताया कि मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी वारंट जारी करने की अपील पर बाद में सुनवाई करने के आदेश दिए हैं।
मुक्ति संग्राम के शहीदों की संख्या पर जताया था संदेह
पिछले साल 21 दिसंबर को एक परिचर्चा में 70 साल की खालिदा ने 1971 के मुक्ति संग्राम में मृतकों की संख्या पर शंका जताई थी। बांग्लादेश नेशनल पार्टी की प्रमुख ने कहा था, 'इस पर विवाद है कि मुक्ति संग्राम में कितने लोग शहीद हुए थे। विवादों पर ढेर सारी किताबें और दस्तावेज भी हैं।' खालिदा की बीएनपी कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी की अहम सहयोगी पार्टी है। जमात ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी का विरोध किया था। सत्तारूढ़ अवामी लीग, 1971 के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोग और उस संग्राम में शहीद हुए लोगों के परिवार ने जिया की टिप्पणी पर तीखी टिप्पणी की थी। कुछ ने उन्हें 'पाकिस्तान की एजेंट' तक कहा था।
रविवार को गृह मंत्रालय ने दी थी केस दर्ज करने की इजाजत
रविवार को ही गृह मंत्रालय ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कराने के लिए मंजूरी प्रदान की थी। सोमवार को उस पर कदम उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट क अधिवक्ता मुमताजउद्दीन अहमद मेहदी ने 27 दिसंबर को आग्रह किया था कि बांग्लादेश की दंड संहिता की धारा 123 (ए) के तहत खालिदा के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए। उस वक्त मजिस्ट्रेट ने पुलिस को आरोप की जांच करने का आदेश दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि वह देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए सरकार से इजाजत लें। बांग्लादेश के कानून के तहत ऐसा करना अनिवार्य है।
दस साल तक की सजा का है प्रावधान
धारा 123 (ए) के तहत 'राज्य (बांग्लादेश) के सृजन की निंदा करने और उसकी संप्रभुता खत्म करने की वकालत करने' के लिए 'कैद बामुशक्कत' का प्रावधान है जो '10 साल तक के लिए दी जा सकती है और जुर्माना भी' लगाया जा सकता है। बीएनपी के नेता एवं वरिष्ठ वकील खंदकर महबूब हुसैन ने कल दावा किया था कि ‘‘:खालिदा: के बयान में देशद्रोह का कोई तत्व नहीं है।’’ आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नौ महीने चले मुक्ति संग्राम में तकरीबन 30 लाख लोगों की मौत हुई थी।
मुक्ति संग्राम के शहीदों की संख्या पर जताया था संदेह
पिछले साल 21 दिसंबर को एक परिचर्चा में 70 साल की खालिदा ने 1971 के मुक्ति संग्राम में मृतकों की संख्या पर शंका जताई थी। बांग्लादेश नेशनल पार्टी की प्रमुख ने कहा था, 'इस पर विवाद है कि मुक्ति संग्राम में कितने लोग शहीद हुए थे। विवादों पर ढेर सारी किताबें और दस्तावेज भी हैं।' खालिदा की बीएनपी कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी की अहम सहयोगी पार्टी है। जमात ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी का विरोध किया था। सत्तारूढ़ अवामी लीग, 1971 के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोग और उस संग्राम में शहीद हुए लोगों के परिवार ने जिया की टिप्पणी पर तीखी टिप्पणी की थी। कुछ ने उन्हें 'पाकिस्तान की एजेंट' तक कहा था।
रविवार को गृह मंत्रालय ने दी थी केस दर्ज करने की इजाजत
रविवार को ही गृह मंत्रालय ने पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कराने के लिए मंजूरी प्रदान की थी। सोमवार को उस पर कदम उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट क अधिवक्ता मुमताजउद्दीन अहमद मेहदी ने 27 दिसंबर को आग्रह किया था कि बांग्लादेश की दंड संहिता की धारा 123 (ए) के तहत खालिदा के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए। उस वक्त मजिस्ट्रेट ने पुलिस को आरोप की जांच करने का आदेश दिया था और याचिकाकर्ता से कहा था कि वह देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए सरकार से इजाजत लें। बांग्लादेश के कानून के तहत ऐसा करना अनिवार्य है।
दस साल तक की सजा का है प्रावधान
धारा 123 (ए) के तहत 'राज्य (बांग्लादेश) के सृजन की निंदा करने और उसकी संप्रभुता खत्म करने की वकालत करने' के लिए 'कैद बामुशक्कत' का प्रावधान है जो '10 साल तक के लिए दी जा सकती है और जुर्माना भी' लगाया जा सकता है। बीएनपी के नेता एवं वरिष्ठ वकील खंदकर महबूब हुसैन ने कल दावा किया था कि ‘‘:खालिदा: के बयान में देशद्रोह का कोई तत्व नहीं है।’’ आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नौ महीने चले मुक्ति संग्राम में तकरीबन 30 लाख लोगों की मौत हुई थी।
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