प्रतीकात्मक तस्वीर
वाशिंगटन:
वैज्ञानिकों के एक समूह ने अपनी चेतावनी वाली रिपोर्ट में कहा है पिछली एक सदी में समुद्र स्तर 14 सेंटीमीटर तक बढ़ गया है और यह वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी के चलते हुआ है। समुद्र का जल स्तर इतनी तेजी से बढ़ा है, जितना पिछली 27 सदियों में नहीं बढ़ा।
वैज्ञानिकों ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 1900 से 2000 तक वैश्विक समुद्री जल स्तर 14 सेमी या 5.5 इंच बढ़ा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग न होती, तो यह वृद्धि 20वीं सदी की वृद्धि की आधी से भी कम होती।
इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और ‘रूटजर्स डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ एंड प्लेनेटेरी साइंसेज’ के असोसिएट प्रोफेसर रॉबर्ट कोप ने कहा, ‘‘पिछली तीन सदियों के संदर्भ में 20वीं सदी की वृद्धि अभूतपूर्व थी। पिछले दो दशकों में वृद्धि बहुत तेज रही है।’’ प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन में कोप, उनके पोस्ट डॉक्टरल सहयोगियों कार्लिंग हे और एरिक मोरो तथा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जैरी मित्रोविका द्वारा पिछले ढाई साल में विकसित किए गए एक नए सांख्यिकी नजरिए को अपनाया गया।
कोप ने कहा, ‘‘कोई भी स्थानीय रिकॉर्ड वैश्विक समुद्र स्तर को नहीं मापता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर रिकॉर्ड किसी स्थान विशेष के समुद्र स्तर को मापता है, जहां इसे कई प्रक्रियाओं से गुजारना होता है। इसके चलते यह वैश्विक मान से अलग हो जाता है। सांख्यिकी चुनौती वैश्विक संकेत निकालने की है। हमारा सांख्यिकी नजरिया हमें ऐसा करने देता है।’’ अध्ययन में पाया गया कि जब ग्रह के तापमान में लगभग 0.2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई तो वैश्विक समुद्र जल स्तर में लगभग आठ सेमी की गिरावट आई।
कोप ने कहा, ‘‘यह हैरान करने वाला है कि हमने समुद्र जल स्तर के इस बदलाव को वैश्विक तापमान में हल्की गिरावट के साथ जुड़ा हुआ देखा।’’ तुलनात्मक तौर पर देखा जाए तो आज वैश्विक औसत तापमान 19वीं सदी के अंत के तापमान से एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
वैज्ञानिकों ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 1900 से 2000 तक वैश्विक समुद्री जल स्तर 14 सेमी या 5.5 इंच बढ़ा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग न होती, तो यह वृद्धि 20वीं सदी की वृद्धि की आधी से भी कम होती।
इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और ‘रूटजर्स डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ एंड प्लेनेटेरी साइंसेज’ के असोसिएट प्रोफेसर रॉबर्ट कोप ने कहा, ‘‘पिछली तीन सदियों के संदर्भ में 20वीं सदी की वृद्धि अभूतपूर्व थी। पिछले दो दशकों में वृद्धि बहुत तेज रही है।’’ प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन में कोप, उनके पोस्ट डॉक्टरल सहयोगियों कार्लिंग हे और एरिक मोरो तथा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जैरी मित्रोविका द्वारा पिछले ढाई साल में विकसित किए गए एक नए सांख्यिकी नजरिए को अपनाया गया।
कोप ने कहा, ‘‘कोई भी स्थानीय रिकॉर्ड वैश्विक समुद्र स्तर को नहीं मापता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर रिकॉर्ड किसी स्थान विशेष के समुद्र स्तर को मापता है, जहां इसे कई प्रक्रियाओं से गुजारना होता है। इसके चलते यह वैश्विक मान से अलग हो जाता है। सांख्यिकी चुनौती वैश्विक संकेत निकालने की है। हमारा सांख्यिकी नजरिया हमें ऐसा करने देता है।’’ अध्ययन में पाया गया कि जब ग्रह के तापमान में लगभग 0.2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई तो वैश्विक समुद्र जल स्तर में लगभग आठ सेमी की गिरावट आई।
कोप ने कहा, ‘‘यह हैरान करने वाला है कि हमने समुद्र जल स्तर के इस बदलाव को वैश्विक तापमान में हल्की गिरावट के साथ जुड़ा हुआ देखा।’’ तुलनात्मक तौर पर देखा जाए तो आज वैश्विक औसत तापमान 19वीं सदी के अंत के तापमान से एक डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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