वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के केंद्र के पास विशालकाय महासागर (Ocean) की खोज की है. अंतरराष्ट्रीय शोध में पता चला है कि वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की सतह के नीचे के सभी महासागरों के आयतन के तीन गुना पानी के एक विकाश महासागर की खोज की है. पानी पृथ्वी के सबसे अतंरूनी हिस्से कोर और मेंटल के बीच के ट्रांजीशन जोन में पाया गया. शोध दल ने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी और एफटीआईआर स्पेक्ट्रोमेट्री सहित अन्य तकनीकों का उपयोग करके पृथ्वी की सतह से 660 मीटर नीचे बने इस महासागर का विश्लेषण किया है.
ऐसा अनुमान है कि भूमिगत महाद्वीप हमारे ग्रह का पुराना रूप हो सकता है और इसकी सबसे अधिक संभावना है कि यह ग्रह-रॉकिंग (Planet-Rocking) प्रभाव से बच गया हो, जिससे चंद्रमा का निर्माण हुआ है.वैज्ञानिकों ने नए भूगर्भीय नमूनों को हवाई, आइसलैंड और अंटार्कटिका के बैलेनी द्वीप के पुराने नमूनों के डेटा का उपयोग करके तैयार किया गया है.
इन क्षेत्रों में पृथ्वी के मेंटल से सतह की ओर ज्वालामुखी लावा का निष्कर्षण होता रहता है. पृथ्वी के मेंटल से सतह तक आने वाली ज्वालामुखी लावा, आग्नेय चट्टानों में परिवर्तित हो जाता है. मेंटल से पृथ्वी की सतह पर ज्वालामुखी लावा, स्तंभ जैसी संरचना के माध्यम से आता है. इस स्तंभ रूपी संरचना को मेंटल प्लम (Mantle Plume) कहते हैं. भूमिगत चट्टानी महाद्वीप के नमूनों में हीलियम-3 जैसे बिग बैंग के दौरान के आइसोटोप विद्यमान हैं.
मेंटल प्लम क्या होता है
एक मेंटल प्लम पृथ्वी के मेंटल के भीतर असामान्य रूप से गर्म चट्टान का उत्थान है. ये चट्टानें अत्यधिक तापमान के कारण पिघलकर लावा के स्वरूप में बाहर निकलती हैं. मेंटल प्लम कम गहराई में पहुंचने पर आंशिक रूप से पिघल सकता है. मेंटल प्लम के कारण ज्वालामुखी का उद्गार होता है.
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