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This Article is From May 20, 2017

जिस देश में महिलाओं के लिए फिल्में देखना है बैन, अब वहां का शहजादा उन्हें दिला रहा पाबंदियों से 'आजादी'

एक ऐसा देश जहां पर सिनेमा नहीं देखा जाता है, कॉफी हाउस में सिर्फ पुरुष ही जा सकते हैं वहां शाही परिवार के एक सदस्य ने अब कुछ अलग हटकर काम करने का फैसला किया है ताकि समाज में महिलाओं को आगे बढ़ाया जा सके. उसकी कोशिश है कि  महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार से जोड़ा जाए और उनकी सामाजिक जिंदगी बदलाव हो

जिस देश में महिलाओं के लिए फिल्में देखना है बैन, अब वहां का शहजादा उन्हें दिला रहा पाबंदियों से 'आजादी'
नई दिल्ली:

एक ऐसा देश जहां पर सिनेमा नहीं देखा जाता है, कॉफी हाउस में सिर्फ पुरुष ही जा सकते हैं वहां शाही परिवार के एक सदस्य ने अब कुछ अलग हटकर काम करने का फैसला किया है ताकि समाज में महिलाओं को आगे बढ़ाया जा सके. उसकी कोशिश है कि  महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार से जोड़ा जाए और उनकी सामाजिक जिंदगी बदलाव हो.


सऊदी अरब के  डिप्टी क्राउन प्रिंस  मोहम्मद बिन सलमान (31) मानना है कि अब समय आ गया है कि यहां कि महिलाओं को आगे बढ़ाया जाए और उनको भी रुढ़िवादिता से निकालकर आजादी से जीने का आधिकार दिया जाए. सऊदी अरब के लोग हर साल लाखों-करोड़ों रुपया विदेशों में जाकर मौज-मस्ती में खर्च कर देते हैं लेकिन उनके अपने ही देश में इन सब चीजों की आजादी नहीं है.


देश को बदलते आधुनिक सोच से जोड़ने और परंपराओं से मुक्त करने के लिए डिप्टी क्राउन प्रिंस ने एक विजन तैयार किया है जिसे 2030 तक लागू किए जाने कि कोशिश है. प्रिंस की कोशिश है कि सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था तेल पर निर्भर के रहने के साथ ही इसमें और भी कुछ बदलाव किए जाएं. उनका सपना है कि आने वाले दशक में सऊदी अरब की छवि पूरी दुनिया में बदल जाए.


खास बात यह है कि शाही परिवार के ज्यादातर लोग जहां पश्चिमी देशों से पढ़े हुए वहीं प्रिंस सलमान सऊदी अरब में ही रहकर पढ़ाई की है लेकिन उनकी सोच बेहद खुले विचारों वाली है. उनका कहना है कि अगर देश में लोग छुट्टियों में घूमेंगे, मस्ती करेंगे तो उनके काम करने की क्षमता में इजाफा हो जाएगा. प्रिंस की यह सोच पश्चिमी और विकसित देशों से मेल खाती है.

 
हालांकि कुछ रुढ़िवादी लोगों ने प्रिंस का विरोध भी किया है. हाल में सऊदी के अंदर कुछ म्युजिक कंसर्ट का आयोजन किया गया है जिसको लेकर  भी लोगों ने सलाह दी है. उनका कहना था कि  ऐसे आयोजन में इस बात का ध्यान रखना है कि कहीं वह पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित तो नहीं है और हमारे 'सऊदी मूल्यों' का हनन तो नहीं कर रहे हैं. आपको बता दें कि सऊदी में हाल ही के दिनों में कुछ ऐसे म्यूजिक कंसर्ट की इजाजत मिली है. वहीं सऊद अरब के यूवा प्रिंस के इन कदमों की तारीफ कर रहे हैं. 

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