भारत ने कहा है कि आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना एक 'दुखद स्थिति' को दर्शाता है. बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में परिषद के अध्यक्ष अल्बानिया की अध्यक्षता में 'अंतर्राष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए जवाबदेही और न्याय की मजबूती ' पर खुली बहस के दौरान विदेश राज्य मंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह ने कहा 'आतंकवाद आज मानव जाति के सामने सबसे बड़ा खतरा है जो सामाजिक तनाव को बढ़ाता है, समाज को अस्थिरता और हिंसा की ओर धकेलता है.'
सिंह ने कहा ''जब हम जवाबदेही की बात करते हैं, तो यह वास्तव में एक दुखद स्थिति है कि आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है. इसलिए, जवाबदेही पर कोई भी बहस आतंकवादी ताकतों द्वारा किए गए नरसंहार को ध्यान में रखे बिना अधूरी होगी, विशेष रूप से वह जो राजनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए राज्य के तत्वों द्वारा समर्थित हैं.''
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उन्होंने परिषद में कहा कि भारत दशकों से सीमा पार आतंकवाद के संकट का सामना कर रहा है और इस वजह से हजारों निर्दोष नागरिक मारे गए हैं लेकिन वह वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों में हमेशा सबसे आगे रहा है.
उन्होंने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के विरोध पर दृढ़ रहना चाहिए और आतंकवादी कृत्यों के लिए किसी भी औचित्य प्रदान करने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार करना चाहिए," उन्होंने कहा कि इराक में ISIS द्वारा किए गए अपराधों के लिए जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए भारत ने संयुक्त राष्ट्र जांच दल की जांच में सहायता के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है.
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