इटली के सर्जन डॉ. सर्गियो कैनवेरो ने ऑपरेशन के जरिये एक व्यक्ति का सिर दूसरे के धड़ से जोड़ने का दावा किया है। अगर उनका यह दावा सही साबित हुआ तो, रूसी कंप्यूटर वैज्ञानिक वलेरी स्पिरिदोनोव दुनिया के ऐसे पहले शख्स बन जाएंगे, जिनका सिर दूसरे व्यक्ति के शरीर पर लगाया जाएगा। वह मांसपेशियों से जुड़ी एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी से जूझ रहे हैं और इस ऑपरेशन की इच्छा जताई है।
हालांकि कैनवेरो के आलोचक कह रहे हैं कि यह केवल फैंटसी है और उनकी तुलना एक मशहूर भूतहा फिल्म के किरदार डॉ. फ्रैंकन्सटीन से भी की जा रही है।
वहीं व्लादिमिर के रहने वाले 30 साल के वैलेरी स्पिरिदोनोव को इस इतालवी सर्जन पूरा भरोसा है और उन्होंने डॉ. कैनवेरो से संपर्क किया है। कैनवेरो के मुताबिक, अगले दो साल में दुनिया के पहले मानव सिर का प्रतिरोपण संभव हो सकेगा।
जन्म से ही मांसपेशियों से जुड़ी दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी 'वर्डनिग-हॉफमैन' से जूझ रहे स्पिरिदोनोव ने कहा, 'मेरा फैसला आखिरी है और मैं अपना फैसला नहीं बदलने वाला।' हालांकि उन्होंने यह जरूर माना कि वह डरे हुए हैं, लेकिन यह भी कहा कि उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं है।
'एक्सप्रेस.को.यूके' ने स्पिरिदोनोव के हवाले से लिखा, 'अगर मैंने इस मौके पर कोशिश नहीं की तो मेरा भविष्य अच्छा नहीं होगा। हर साल बीतने के साथ मेरी हालत बदतर होती जा रही है।'
सीएनएन के मुताबिक, कैनवेरा का दावा है कि उनके पास ऐसे कई लोगों के ई-मेल और खत हैं जो इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए तैयार हैं। इनमें से कई तो पारलिंगी (ट्रांस-सेक्सुअल) हैं, जो एक नया शरीर चाहते हैं, लेकिन उनका जोर है कि पहले मरीज वे लोग होंगे जो मांसपेशी से जुड़ी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।
डॉ. कैनवेरा स्पिरिदोनोव को एक नया शरीर देने के लिए उनका ऑपरेशन करने पर राज़ी हो गए हैं। इसमें उनका उनका सर धड़ से अलग कर दूसरे शख्स के शरीर में लगाया जाएगा। स्पिरिदोनोव के सिर के लिए एक ब्रेनडेड शख्स के शरीर का उपयोग किया जाएगा। इस ऑपरेशन को अंजाम देने में 36 घंटे लगेंगे और इसका खर्च रीब 69 करोड़ रुपए आएगा।
इस ऑपरेशन के लिए दोनों धड़ों को एक बेहद तेज ब्लेड से एकसाथ सफाई के साथ अलग किया जाएगा। इसके बाद डॉ. सेर्जियो के मुताबिक रीढ़ की हड्डी को एक 'चमत्कारिक पदार्थ' से चिपकाया जाएगा। सिर और शरीर की मांसपेशियों को आपस में सिला जाएगा और चार हफ्तों के लिए मरीज को कोमा में भेज दिया जाएगा। इस दौरान सिर और शरीर को बिल्कुल हिलने नहीं दिया जाएगा। मरीज के अपने चेहरे को महसूस करने और उसकी आवाज पहले की तरह होने पर उसे कोमा से जगाया जाएगा। मरीज का शरीर उसके सिर को अस्वीकार न कर दे, इसके लिए उसे काफी ताकतवर दवाइयां दी जाएंगी।
हालांकि न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के लैंगोन मेडिकल सेंटर में चिकित्सा नैतिकता के निदेशक आर्थर कैपलन डॉ. कैनवेरो को पागल करार दे रहे हैं। उनका मानना है कि प्रत्यारोपित सिर मरीज के नए शरीर को अपना नहीं पाएगा, शरीर पर उसका काबू खत्म हो सकता है और वह पागल भी हो सकता है।
गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने 45 साल पहले एक बंदर का सिर दूसरे बंदर के धड़ पर लगाया गया था और हाल ही में चीन में एक चूहे के साथ ऐसा ऑपरेशन किया था। वह बंदर सर्जरी के आठ दिन बाद मर गया था, क्योंकि उसके नए शरीर ने सिर को स्वीकार नहीं किया था। बंदर खुद से सांस भी नहीं ले पा रहा था और उसकी रीढ़ की हड्डी ठीक से नहीं जुड़ सकी थी।
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