
- यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने 2014 में मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट MH17 को रूस द्वारा मार गिराने का फैसला सुनाया है.
- कोर्ट ने यह भी पाया कि रूस ने यूक्रेनी बच्चों के अपहरण, नागरिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करने और यौन हिंसा का इस्तेमाल किया है.
- रूस ने न्यायालय के फैसले को अमान्य बताया और पालन करने से इनकार किया है, जबकि संयुक्त राष्ट्र की विमानन एजेंसी ने भी रूस को दोषी ठहराया था.
यूरोप की शीर्ष मानवाधिकार कोर्ट ने पाया कि रूस ने ही साल 2014 में मलेशिया एयरलाइंस की उड़ान MH17 को मार गिराया था, जिसमें सभी 283 यात्री और 15 क्रू मेंबर मारे गए थे. यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (यूरोपीयन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स) के जजों ने बुधवार को कीव और नीदरलैंड द्वारा लाए गए तीन अन्य मामलों में भी रूस के खिलाफ फैसले सुनाए, जिसमें मॉस्को पर एक दशक से अधिक पुराने यूक्रेन में अत्याचारों का आरोप लगाया गया था.
गौरतलब है कि एम्स्टर्डम से कुआलालंपुर तक मलेशिया एयरलाइंस के बोइंग 777 मॉडल के प्लेन को 17 जुलाई 2014 को पूर्वी यूक्रेन से मिसाइल मारकर उड़ा दिया गया था. उस समय पूर्वी यूक्रेन मास्को के प्रति वफादार अलगाववादी विद्रोहियों द्वारा नियंत्रित था. प्लेन को गिराने के लिए जिस बुक मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था उसे रूस ने ही बनाया था.
स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय के कोर्टरूम में फैसला पढ़ते हुए, कोर्ट के प्रेसिडेंट, मटियास गुयोमर ने कहा कि "सबूत से पता चलता है कि मिसाइल को जानबूझकर फ्लाइट एमएच 17 पर दागा गया था, संभवतः इस गलत धारणा में कि यह एक सैन्य विमान था." जजों ने पाया कि रूस द्वारा फ्लाइट एमएच17 की आपदा में अपने हाथ होने की बात को स्वीकार करने से इनकार करना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है. इसमें कहा गया है कि मामले की ठीक से जांच करने में मॉस्को की विफलता ने मृतकों के रिश्तेदारों और दोस्तों की पीड़ा को काफी बढ़ा दिया है.
कोर्ट में रूस के खिलाफ और कौन से फैसले दिए गए?
कोर्ट ने रूस को 2022 में मॉस्को के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के बाद हत्या, यातना, बलात्कार, नागरिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करने और यूक्रेनी बच्चों के अपहरण का भी दोषी पाया. अध्यक्ष गयोमर ने कहा कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन में हमले करके अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन किया है, जिसमें "हजारों नागरिक मारे गए और घायल हुए, भय और आतंक पैदा हुआ."
501 पेज के फैसले में कहा गया कि कार्यवाही में भाग लेने से रूस का इनकार भी यूरोपीय मानवाधिकार कन्वेंशन का उल्लंघन था.
फैसले पढ़े जाने से पहले फैसले के बारे में पूछे जाने पर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा: "हम इसका पालन नहीं करेंगे, हम इसे अमान्य मानते हैं."
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