माओवादी नेता प्रचंड (फाइल फोटो)
काठमांडू:
नेपाल के शीर्ष माओवादी नेता प्रचंड ने देश में महीनों से जारी राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने की खातिर बुधवार को सरकार और आंदोलनकारी मधेसियों के बीच 'एक पुल के तौर पर काम करने' के लिए अपनी पार्टी की मध्यस्थता की पेशकश की।
प्रचंड ने यूसीपीएन-माओवादी की केंद्रीय समिति के फैसलों की सूचना देने के लिए काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि उनकी पार्टी खुद द्वारा प्रस्तावित आठ राज्यों के संघीय तंत्र पर आम सहमति चाहती है।
उन्होंने कहा, 'इस समय मधेस में आंदोलन कर रही पार्टियों द्वारा उठाई गई मांगें हमारी पार्टी से संबंधित हैं। उन मांगों के पीछे वजह हम हैं। मधेस मुद्दे का एक आतंरिक विषय के तौर पर हल होना चाहिए। हम उन मुद्दों के सृजक एवं उत्प्रेरक हैं।'
प्रचंड ने कहा कि उनकी पार्टी सरकार और मधेसियों के बीच 'पुल के तौर पर काम करने' के लिए तैयार है। मधेसियों की अधिकतर आबादी भारतीय मूल के लोगों की है। उन्होंने कहा कि नए संविधान की घोषणा के बाद पूंजीवादी एवं जन समर्थक प्रस्ताव के चरण का अंत हो गया। उन्होंने संविधान को एक प्रगतिशील दस्तावेज के तौर पर देखकर आगे बढ़ने की जरूरत बताई।
इसी बीच आंदोलनकारी यूडीएमएफ (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट) के सांसदों ने बुधवार को संसद की बैठक बाधित की। सांसदों के नारेबाजी कर सदन की कार्यवाही बाधित करने के बाद सदन के अध्यक्ष ओंसारी घरती मगर ने रविवार 27 दिसंबर तक के लिए बैठक के स्थगन की घोषणा की।
मधेसी सांसद संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चाओं को रोकने की मांग को लेकर पिछले कुछ हफ्तों से सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं।
प्रचंड ने यूसीपीएन-माओवादी की केंद्रीय समिति के फैसलों की सूचना देने के लिए काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि उनकी पार्टी खुद द्वारा प्रस्तावित आठ राज्यों के संघीय तंत्र पर आम सहमति चाहती है।
उन्होंने कहा, 'इस समय मधेस में आंदोलन कर रही पार्टियों द्वारा उठाई गई मांगें हमारी पार्टी से संबंधित हैं। उन मांगों के पीछे वजह हम हैं। मधेस मुद्दे का एक आतंरिक विषय के तौर पर हल होना चाहिए। हम उन मुद्दों के सृजक एवं उत्प्रेरक हैं।'
प्रचंड ने कहा कि उनकी पार्टी सरकार और मधेसियों के बीच 'पुल के तौर पर काम करने' के लिए तैयार है। मधेसियों की अधिकतर आबादी भारतीय मूल के लोगों की है। उन्होंने कहा कि नए संविधान की घोषणा के बाद पूंजीवादी एवं जन समर्थक प्रस्ताव के चरण का अंत हो गया। उन्होंने संविधान को एक प्रगतिशील दस्तावेज के तौर पर देखकर आगे बढ़ने की जरूरत बताई।
इसी बीच आंदोलनकारी यूडीएमएफ (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट) के सांसदों ने बुधवार को संसद की बैठक बाधित की। सांसदों के नारेबाजी कर सदन की कार्यवाही बाधित करने के बाद सदन के अध्यक्ष ओंसारी घरती मगर ने रविवार 27 दिसंबर तक के लिए बैठक के स्थगन की घोषणा की।
मधेसी सांसद संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चाओं को रोकने की मांग को लेकर पिछले कुछ हफ्तों से सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं।