लड़ाकू विमान राफेल की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
फ्रांसीसी सरकार ने राफेल परियोजना की लागत का 50 प्रतिशत यहां निवेश करने, यानी ऑफसेट क्लॉज की भारतीय वार्ताकारों की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि उसने 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे पर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ से जुड़ी परियोजनाओं में भाग लेने की पेशकश की है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार ऑफसेट क्लॉज पर, शस्त्र प्रौद्योगिकी में बदलाव पर और राफेल लड़ाकू विमानों के लिए दो केंद्र बनाने की योजना पर भारत की मांग पूरी करने पर लागत में इजाफा होगा। ऑफसेट नीति सबसे पहले सन 2005 की रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) के तहत लाई गई थी। इसके तहत किसी विदेशी कंपनी को भारत से सौदे का एक हिस्सा यहां निवेश करना होता है।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि ‘50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज मूल निविदा का हिस्सा था जो 126 लड़ाकू विमानों के लिए निकाली गई थी। अब फ्रांसीसी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री ने 36 राफेल विमानों की सीधी खरीद का फैसला लिया है। जब फ्रांस उसी दर पर विमानों की आपूर्ति की पेशकश कर रहा है जिस पर वायु सेना खरीद रही है, तो 50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज के लिए कैसे कहा जा सकता है?’ सूत्रों ने कहा कि इसके बजाय फ्रांसीसियों ने ‘मेक इन इंडिया’पहल में शामिल होने की पेशकश की है।
उन्होंने कहा, ‘फ्रांस फाल्कन विमानों को भारत में बनाने या भविष्य के लिए राफेल बनाने के साथ-साथ अन्य परियोजनाओं के विकल्प पर विचार कर सकता है।’ सूत्रों ने कहा कि फ्रांसीसी सरकार ने साफ किया है कि उनकी कंपनियां ‘मेक इन इंडिया’ योजना का हिस्सा बनना पसंद करेंगी।
सूत्रों के अनुसार ऑफसेट क्लॉज से प्रत्येक विमान की लागत बढ़ जाएगी। फ्रांसीसी केवल ऑफसेट क्लॉज को लेकर चिंतित नहीं हैं। भारतीय वायुसेना शस्त्र प्रौद्योगिकी में बदलाव चाहती है, ताकि विमान ऐसी मिसाइल का भी प्रक्षेपण कर सकें जो राफेल में नहीं होती। सूत्रों के अनुसार मिसाइल अमेरिका निर्मित है।
सूत्रों ने कहा, ‘यह बदलाव कारों में टायर बदलने की तरह नहीं हैं। इनमें समय, मेहनत और धन लगता है। इन सबसे लागत और बढ़ेगी।’ सूत्रों के मुताबिक भारत 36 राफेल विमानों के लिए दो केंद्रों का स्थापना भी करना चाहता है। फ्रांस की सरकार के साथ इसी तरह के सौदे करने वाले कतर और मिस्र ने केवल एक केंद्र की मांग की थी।
सूत्रों ने कहा, ‘यह बात तो समझ आती है कि भारत की रणनीतिक जरूरत अलग हो सकती है लेकिन आम तौर पर दो केंद्रों की जरूरत तब होती है जब किसी के पास किसी विमान विशेष के दो स्क्वाड्रन से ज्यादा हों। दो केंद्रों की स्थापना पर भी अधिक लागत आएगी।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के फैसले की घोषणा की थी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार ऑफसेट क्लॉज पर, शस्त्र प्रौद्योगिकी में बदलाव पर और राफेल लड़ाकू विमानों के लिए दो केंद्र बनाने की योजना पर भारत की मांग पूरी करने पर लागत में इजाफा होगा। ऑफसेट नीति सबसे पहले सन 2005 की रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) के तहत लाई गई थी। इसके तहत किसी विदेशी कंपनी को भारत से सौदे का एक हिस्सा यहां निवेश करना होता है।
रक्षा सूत्रों ने कहा कि ‘50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज मूल निविदा का हिस्सा था जो 126 लड़ाकू विमानों के लिए निकाली गई थी। अब फ्रांसीसी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री ने 36 राफेल विमानों की सीधी खरीद का फैसला लिया है। जब फ्रांस उसी दर पर विमानों की आपूर्ति की पेशकश कर रहा है जिस पर वायु सेना खरीद रही है, तो 50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज के लिए कैसे कहा जा सकता है?’ सूत्रों ने कहा कि इसके बजाय फ्रांसीसियों ने ‘मेक इन इंडिया’पहल में शामिल होने की पेशकश की है।
उन्होंने कहा, ‘फ्रांस फाल्कन विमानों को भारत में बनाने या भविष्य के लिए राफेल बनाने के साथ-साथ अन्य परियोजनाओं के विकल्प पर विचार कर सकता है।’ सूत्रों ने कहा कि फ्रांसीसी सरकार ने साफ किया है कि उनकी कंपनियां ‘मेक इन इंडिया’ योजना का हिस्सा बनना पसंद करेंगी।
सूत्रों के अनुसार ऑफसेट क्लॉज से प्रत्येक विमान की लागत बढ़ जाएगी। फ्रांसीसी केवल ऑफसेट क्लॉज को लेकर चिंतित नहीं हैं। भारतीय वायुसेना शस्त्र प्रौद्योगिकी में बदलाव चाहती है, ताकि विमान ऐसी मिसाइल का भी प्रक्षेपण कर सकें जो राफेल में नहीं होती। सूत्रों के अनुसार मिसाइल अमेरिका निर्मित है।
सूत्रों ने कहा, ‘यह बदलाव कारों में टायर बदलने की तरह नहीं हैं। इनमें समय, मेहनत और धन लगता है। इन सबसे लागत और बढ़ेगी।’ सूत्रों के मुताबिक भारत 36 राफेल विमानों के लिए दो केंद्रों का स्थापना भी करना चाहता है। फ्रांस की सरकार के साथ इसी तरह के सौदे करने वाले कतर और मिस्र ने केवल एक केंद्र की मांग की थी।
सूत्रों ने कहा, ‘यह बात तो समझ आती है कि भारत की रणनीतिक जरूरत अलग हो सकती है लेकिन आम तौर पर दो केंद्रों की जरूरत तब होती है जब किसी के पास किसी विमान विशेष के दो स्क्वाड्रन से ज्यादा हों। दो केंद्रों की स्थापना पर भी अधिक लागत आएगी।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के फैसले की घोषणा की थी।
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