बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की घटनाओं का भारत में विरोध बढ़ता जा रहा है. बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े रहे चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद माहौल और बिगड़ा है. कट्टरपंथियों के हिंदू समुदाय पर हमले बढ़े हैं. हिंदू समुदाय भी सड़कों पर आकर अपना विरोध जता रहे हैं. दूसरी ओर, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया-सुन्नी के बीच टकराव और हिंसा बढ़ती जा रही है. जबकि रूस-यूक्रेन के बीच की जंग का असर अब रूस की इकोनॉमी पर पड़ने लगा है. यूक्रेन से कहीं ज्यादा आबादी होने के बाद भी रूस को नए सैनिकों की भर्ती में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. NDTV के नए प्रोग्राम 'NDTV दुनिया' में आइए जानते हैं दुनिया की प्रमुख खबरें एक साथ एक ही पेज पर...
हिंदू हिंसा के विरोध में उबल रहा है भारत
बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े रहे चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद माहौल और बिगड़ा है. बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार को कोलकाता में BJP के बड़े नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया. ये प्रदर्शन भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेट्रापोल के करीब किया गया.
-दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में रैली की. उद्धव ठाकरे गुट ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की है.
-शिवसेना डोगरा फ्रंट ने जम्मू में प्रदर्शन किया और भारत में बांग्लादेश के उच्चायोग को बंद करने की मांग की.
-बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा का असर बॉर्डर पर भी देखा जा रहा है. बांग्लादेश से लगती फुलबारी सीमा के पास दक्षिण दिनाजपुर में तनाव को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था चौक चौबंद कर दी गई है.
-त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में भी प्रदर्शन हुए. सोमवार को एक विशाल रैली निकाली गई. इस दौरान प्रदर्शकारियों ने इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को रोकने की मांग की. यह रैली विश्व हिंदू परिषद (विहिप) से संबद्ध हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले बांग्लादेश सहायक उच्चायुक्त कार्यालय के पास निकाली गई.
-बांग्लादेश में चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद कुछ और लोगों को भी पकड़ा गया है. इससे लोगों में नाराजगी है. इस बीच बांग्लादेशी सहायक उच्चायोग के परिसर में कथित तौर पर 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने प्रवेश किया, जिससे परिसर में मौजूद लोगों में चिंता पैदा हो गई.
-इस मामले में विदेश मंत्रालय ने कहा, "अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में परिसर में घुसपैठ की घटना बेहद खेदजनक है. सरकार बांग्लादेश उच्चायोग और भारत में देश के अन्य मिशनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कार्रवाई कर रही है.
चिन्मय दास प्रभु की जमानत पर 3 दिसंबर को सुनवाई
बांग्लादेश में पिछले सप्ताह राजद्रोह के आरोप में हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया था. कोर्ट चिन्मय दास प्रभु की जमानत पर सुनवाई के लिए 3 दिसंबर की तारीख तय की है. वहीं, इस्कॉन बांग्लादेश ने चिन्मय प्रभु से खुद को अलग कर लिया है. महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा कि अनुशासन भंग करने की वजह से चिन्मय को पहले ही संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया था.
इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक अकाउंट्स किए सीज
इस बीच बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस प्रशासन ने इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक अकाउंट सीज कर लिए हैं. बांग्लादेश फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (BFIU) ने ये अकाउंट 30 दिनों के लिए सीज कर दिए हैं. इसमें चिन्मय प्रभु का अकाउंट भी शामिल है. फाइनेंशियल इंटेलिजेंस एजेंसी ने इन अकाउंट्स से हुई लेन-देन की जानकारी 3 दिन के भीतर भेजने को कहा है.
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भारत सरकार के पास क्या है ऑप्शन?
बांग्लादेश में हिंदुओं पर रही हिंसा को रोकने के लिए भारत सरकार के पास क्या-क्या विकल्प हैं? इसके जवाब में पूर्व राजनयिक वीना सीकरी कहती हैं, "बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, उसे लेकर भारत सरकार चिंतित है. 8 अगस्त को जब मोहम्मद यूनुस ने चीफ एडवाइजर के तौर पर शपथ ग्रहण की थी, तब हमारे प्रधानमंत्री ने उन्हें एक मैसेज भेजा था. PM मोदी ने कहा था कि भारत यूनुस सरकार के साथ काम करने को तैयार है. PM मोदी ने उसी वक्त हिंदुओं की रक्षा का मामला भी उठाया था. साथ ही यूनुस सरकार से कहा था कि वो हिंदुओं का ख्याल रखे. यूनुस सरकार ने भी ऐसा करने का आश्वासान दिया था. लेकिन मौजूदा समय में देखें, तो यूनुस सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में फेल हो रही है."
खैबर में कौन लेगा आवाम की खैर?
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा सूबे में बीते हफ्ते भीषण आतंकवादी हमले के बाद शिया मुसलमानों में जबरदस्त गुस्सा है. इस हमले में 40 शिया मुसलमानों की मौत हुई है. मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में बहुसंख्यक सुन्नी मुसलमानों और अल्पसंख्यक शियाओं के बीच सांप्रदायिक झड़पों में हाल के महीनों में दर्जनों लोग मारे गए हैं. लेकिन अभी तक किसी ने भी इस ताजा हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. सवाल उठता है कि खैबर में आवाम की खैर आखिर कौन लेगा?
खैबर पख्तूनख्वा शिया बहुल आबादी, कंट्रोल सुन्नी के पास
वीना सीकरी कहती हैं, "शिया-सुन्नी के बीच का टकराव बहुत पुराना है. खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तानी की आजादी के बाद से FATA (Federally Administered Tribal Area) के तौर पर जाना जाता था. लंबे समय तक इसमें कोई एडमिनिस्ट्रेशन नहीं हुआ था. कोई गर्वनेंस नहीं था. यहां बहुत गरीबी थी. विकास का कोई काम नहीं हुआ था. 2018 में संविधान संशोधन हुआ. फिर उत्तर पश्चिम सीमान्त प्रांत (NWFP) और संघ प्रशासित आदिवासी क्षेत्र (FATA) के विलय के बाद इसे सूबा-ए-सरहद के नाम से जाना जाने लगा. यहां के कई इलाकों में शिया की बहुलता है. फिर भी पूरा कंट्रोल सुन्नी के हाथों में है. इसलिए जिन इलाकों में शिया की अच्छी तादाद हैं, वहां कोई डेवलपमेंट नहीं हो रहा है. कोई एजुकेशन नहीं मिल रही है. कोई भत्ता नहीं मिल पा रहा है."
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खैबर को लेकर पाकिस्तान-अफगानिस्तान में बढ़ रहा तनाव
वीना सीकरी कहती हैं, "खैबर पख्तूनख्वा को लेकर हमेशा से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव रहा है. इस वजह से कई आतंकी गुट इसे पनाहगाह की तरह इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा यहां रहने वाली जनजातियों में भी लंबे वक्त से जमीन विवाद चला आ रहा है. अफगानिस्तान पर कब्जे पर तालिबान ने पाकिस्तान से इस इलाके को खाली करने को कहा था. लेकिन पाकिस्तान ने इसका विरोध जताते हुए फौज तैनात कर दी. तब से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया. इस तनाव को इकोनॉमिक फैक्टर और ज्यादा हवा देती है."
रूस के खिलाफ यूक्रेन को मिल रही मदद
यूक्रेन के साथ 2 साल से चल रही युद्ध की वजह से रूस की इकोनॉमी और आबादी पर लगातार दबाव बढ़ रहा है. रूस को नए सैनिकों की भर्ती में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ यूक्रेन को लगातार पश्चिमी देशों से आर्थिक और सामरिक मदद हासिल हो रही है. जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने सोमवार को यूक्रेन को लगभग 5 हजार करोड़ रुपए (684 मिलियन डॉलर) के मिलिट्री इक्विपमेंट देने की घोषणा की.
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जॉर्जिया में विरोध प्रदर्शन
पूर्वी यूरोप के देश जॉर्जिया से भी विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं. ताजा खबरों के अनुसार, जॉर्जिया की पुलिस ने त्बिलिसी में विरोध प्रदर्शन के दौरान विपक्षी गठबंधन के एक नेता ज़ुराब जापरिद्ज़े को हिरासत में लिया है. यह विरोध प्रदर्शन यूरोपीय संघ की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर हो रहा है. जॉर्जिया को दिसंबर 2023 में यूरोपीय संघ ने उम्मीदवार का दर्जा दिया था, लेकिन इस साल की शुरुआत में एक 'विदेशी प्रभाव' कानून के पारित होने के बाद यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ.
सेक्स वर्कर्स को मैटर्निटी लीव देने वाला पहला देश बना बेल्जियम
जंग और हिंसा की खबरों के बीच एक पॉजिटिव खबर भी है. दुनिया में पहली बार बेल्जियम में सेक्स वर्कर्स को मैटर्निटी लीव, पेंशन, हेल्थ इंश्योरेंस और सिक लीव समेत कई अधिकार देने की घोषणा की गई है. इस कानून के तहत सेक्स वर्कर्स को दूसरे कर्मचारियों के जैसे ही रोजगार और सिक्योरिटी देने की कोशिश की गई है. यह कानून 1 दिसंबर से लागू हो गया है.
बेल्जियम में साल 2022 में सेक्स वर्क को अपराधमुक्त घोषित कर दिया गया था. इसके बाद से ही देश में सेक्स वर्करों के लिए सुरक्षा, रोजगार, हेल्थ समेत कई अधिकार देने की मांग होने लगी थी. बेल्जियम में अब नए कानून के तहत, सेक्स वर्कर्स को सेक्स से इनकार करने, छुट्टी लेने पर नौकरी से नहीं निकाला जा सकता है.
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