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This Article is From Jun 14, 2012

परमाणु करार में प्रगति से भारत-अमेरिकी सम्बंधों में मजबूती

परमाणु करार में प्रगति से भारत-अमेरिकी सम्बंधों में मजबूती
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ईरान से तेल आयात करने की वजह से लगने वाले प्रतिबंधों की आशंका समाप्त होने के बाद भारत और अमेरिका ने अवरुद्ध असैन्य परमाणु समझौते की दिशा में प्रगति के साथ-साथ तीसरे द्विपक्षीय महत्वपूर्ण संवाद में उल्लेखनीय प्रगति की है।
वाशिंगटन:
ईरान से तेल आयात करने की वजह से लगने वाले प्रतिबंधों की आशंका समाप्त होने के बाद भारत और अमेरिका ने अवरुद्ध असैन्य परमाणु समझौते की दिशा में प्रगति के साथ-साथ तीसरे द्विपक्षीय महत्वपूर्ण संवाद में उल्लेखनीय प्रगति की है।

अमेरिकी कम्पनी वेस्टिंगहाउस और भारत की न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के बीच एक समझौता हुआ है। इसके तहत गुजरात में बनने वाले परमाणु संयंत्रों के निर्माण के लिए आरिम्भिक स्थल विकास किया जाएगा।

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की अध्यक्षता में हुई वार्ता में दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु सहयोग समझौते के क्रियान्वयन की दिशा की एक बड़ी बाधा हटने का स्वागत किया।

कृष्णा ने कहा कि इस समझौते से परमाणु करार को लेकर जारी अटकलों और दुविधाओं पर कुछ हद तक विराम लग सकेगा। उन्होंने कहा कि परमाणु व्यापार में विस्तार किए जाने की जरूरत है। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि कुछ और भारतीय और अमेरिकी कम्पनियां भारत में निवेश के लिए आगे आएंगी।

हिलेरी ने इस समझौते को असैन्य परमाणु सहयोग समझौते की दिशा में एक अहम कदम करार दिया। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जनरल इलेक्ट्रिक-हिताची जैसी अन्य अमेरिकी कम्पनियां भी इसका अनुसरण करेंगी। हालांकि उन्होंने कहा कि परमाणु दायित्व कानून के प्रभावों को समझने की दिशा में अभी काम किया जाना बाकी है।

इस संवाद की एक अन्य कामयाबी अफगानिस्तान के साथ त्रिपक्षीय वार्ता करने पर समझौता रही। इसे अफगानिस्तान में भारत की रचनात्मक भूमिका स्वीकृति माना गया।

भारत को ईरान तेल प्रतिबंधों की सूची से बाहर रखे जाने का हवाला देते हुए क्लिंटन ने ईरान पर निर्भरता कम करने के लिए भारत की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना भी की। लेकिन कृष्णा ने बाद में कहा कि ईरान का मसला इत्तेफाक के तौर पर आया था और अमेरिका ईरान से तेल आयात के बारे में भारत की स्थिति को बखूबी समझता है।

इस दौरान सात प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा हुई। जिनमें महत्वपूर्ण सहयोग, आतंकवाद से मुकाबला, घरेलू सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन, शिक्षा एवं विकास, आर्थिक मामले, व्यापार एवं कृषि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं नवरचना, वैश्विक भागीदारी और दोनों देशों की जनता के बीच सम्पर्क शामिल है।
 

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