पीएम मोदी को सऊदी ने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'द किंग अब्दुल अजीज ऑर्डर' प्रदान किया था
वाशिंगटन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया सऊदी अरब यात्रा के बारे में एक शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ का कहना है कि इससे पाकिस्तान को परेशानी हो सकती है, क्योंकि आर्थिक और रणनीतिक अवसर भारत को तेल समृद्ध खाड़ी देश के करीब ला रहे हैं।
अमेरिकी थिंक टैंक इंडिया इनिशिएटिव ऑफ दी हडसन इंस्टीट्यूट की अपर्णा पांडे ने कहा, 'सालों तक सऊदी अरब को एक प्रमुख सहयोगी और आर्थिक मददगार मानने वाले पाकिस्तान को अब लग सकता है कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी भारत के हाथों अपने इस संरक्षक को खो रहा है। मोदी पिछले हफ्ते सरकारी यात्रा पर रियाद पहुंचे थे और इस यात्रा का राजनयिक महत्व था।'
पांडे ने कहा कि पीएम मोदी की यात्रा और उनका गर्मजोशी से किया गया स्वागत पाकिस्तानी नेताओं को यह याद दिलाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंध राष्ट्रीय हितों पर टिके होते हैं, केवल धर्म आधारित विचारधारा पर नहीं।' उन्होंने कहा, 'आर्थिक और रणनीतिक मुद्दे भारत और सऊदी अरब को करीब ला रहे हैं, वैसे ही जैसे ये दोनों क्षेत्र भारत और अन्य देशों के संबंधों को आगे बढ़ा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा संघर्ष को ही देखते हैं और ऐसे में यह स्पष्ट रूप से भारत की जीत है।
इस यात्रा के दौरान शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज ने पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'द किंग अब्दुल अजीज ऑर्डर' प्रदान किया था। पांडे ने कहा कि सहायता के रूप में अरबों डॉलर देने और पाकिस्तानियों को बड़े पैमाने पर रोजगार देने के बावजूद सउदी अरब ने कभी भी किसी पाकिस्तानी नेता को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान नहीं किया।
पांडे ने कहा कि वर्ष 2014. 15 में 39. 4 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार के साथ भारत और सऊदी अरब आर्थिक रूप से एक दूसरे के लिए काफी अहम हो गए हैं। इसके उलट पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच कारोबार मात्र 6. 1 अरब डॉलर का है। भारत के लिए सऊदी अरब उसके तेल आयात का मुख्य स्रोत है, जो भारत की वाषिर्क तेल मांग के पांचवें हिस्से की आपूर्ति करता है। उधर सऊदी अरब के लिए चीन, जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बाद भारत उसका पांचवां सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
पांडे साथ ही कहती हैं कि पाकिस्तान इस विकास को एक खतरे के तौर पर देख सकता है। उन्होंने कहा, 'या यह भी हो सकता है कि वह भारत के प्रति अपनी धारणा को बदले और उन आर्थिक तथा रणनीतिक अवसरों का लाभ उठाए जिनके चलते भारत उसके पुराने मित्र का वांछित सहयोगी बन रहा है।'
गौरतलब है कि पीएम मोदी शनिवार को अपनी दो दिवसीय यात्रा पर सऊदी अरब गए थे। वर्ष 1956 में जवाहरलाल नेहरू, 1982 में इंदिरा गांधी और वर्ष 2010 में मनमोहन सिंह के बाद मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर जाने वाले चौथे भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
अमेरिकी थिंक टैंक इंडिया इनिशिएटिव ऑफ दी हडसन इंस्टीट्यूट की अपर्णा पांडे ने कहा, 'सालों तक सऊदी अरब को एक प्रमुख सहयोगी और आर्थिक मददगार मानने वाले पाकिस्तान को अब लग सकता है कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी भारत के हाथों अपने इस संरक्षक को खो रहा है। मोदी पिछले हफ्ते सरकारी यात्रा पर रियाद पहुंचे थे और इस यात्रा का राजनयिक महत्व था।'
पांडे ने कहा कि पीएम मोदी की यात्रा और उनका गर्मजोशी से किया गया स्वागत पाकिस्तानी नेताओं को यह याद दिलाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंध राष्ट्रीय हितों पर टिके होते हैं, केवल धर्म आधारित विचारधारा पर नहीं।' उन्होंने कहा, 'आर्थिक और रणनीतिक मुद्दे भारत और सऊदी अरब को करीब ला रहे हैं, वैसे ही जैसे ये दोनों क्षेत्र भारत और अन्य देशों के संबंधों को आगे बढ़ा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा संघर्ष को ही देखते हैं और ऐसे में यह स्पष्ट रूप से भारत की जीत है।
इस यात्रा के दौरान शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज ने पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'द किंग अब्दुल अजीज ऑर्डर' प्रदान किया था। पांडे ने कहा कि सहायता के रूप में अरबों डॉलर देने और पाकिस्तानियों को बड़े पैमाने पर रोजगार देने के बावजूद सउदी अरब ने कभी भी किसी पाकिस्तानी नेता को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान नहीं किया।
पांडे ने कहा कि वर्ष 2014. 15 में 39. 4 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार के साथ भारत और सऊदी अरब आर्थिक रूप से एक दूसरे के लिए काफी अहम हो गए हैं। इसके उलट पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच कारोबार मात्र 6. 1 अरब डॉलर का है। भारत के लिए सऊदी अरब उसके तेल आयात का मुख्य स्रोत है, जो भारत की वाषिर्क तेल मांग के पांचवें हिस्से की आपूर्ति करता है। उधर सऊदी अरब के लिए चीन, जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बाद भारत उसका पांचवां सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
पांडे साथ ही कहती हैं कि पाकिस्तान इस विकास को एक खतरे के तौर पर देख सकता है। उन्होंने कहा, 'या यह भी हो सकता है कि वह भारत के प्रति अपनी धारणा को बदले और उन आर्थिक तथा रणनीतिक अवसरों का लाभ उठाए जिनके चलते भारत उसके पुराने मित्र का वांछित सहयोगी बन रहा है।'
गौरतलब है कि पीएम मोदी शनिवार को अपनी दो दिवसीय यात्रा पर सऊदी अरब गए थे। वर्ष 1956 में जवाहरलाल नेहरू, 1982 में इंदिरा गांधी और वर्ष 2010 में मनमोहन सिंह के बाद मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर जाने वाले चौथे भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
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