काबुल:
अफगानिस्तान में लोकतंत्र को भारत की प्रतीकात्मक भेंट, यहां का नया संसद भवन बनकर लगभग तैयार है। यह कोशिश हो रही है कि निकट भविष्य में इसका औपचारिक उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काबुल आएं।
भारत सरकार ने युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान से दोस्ती और एकजुटता दिखाने के लिए इस भवन को बनाने का काम साल 2007 में शुरू किया था। 31 दिसंबर तक इसे बनकर तैयार हो जाना है।
इसे नवंबर 2011 में ही बनकर तैयार होना था, लेकिन इसे बनाने की अंतिम तिथि तीन बार बढ़ानी पड़ी। ताजा समीक्षा में भारत के शहरी विकास विभाग के सचिव मधुसूदन प्रसाद और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने पाया कि भवन का काम 96 फीसदी पूरा हो चुका है।
टीओएलओ न्यूज के मुताबिक, इस भवन के निर्माण पर 4 करोड़ 50 लाख डॉलर का खर्च आना था। लेकिन, बाद में यह बढ़कर 9 करोड़ डॉलर हो गया। इस भवन का डिजाइन मुगल और आधुनिक स्थापत्य कला पर आधारित है। इसका गुंबद एशिया का सबसे बड़ा गुंबद होगा।
भारत सरकार ने युद्ध पीड़ित अफगानिस्तान से दोस्ती और एकजुटता दिखाने के लिए इस भवन को बनाने का काम साल 2007 में शुरू किया था। 31 दिसंबर तक इसे बनकर तैयार हो जाना है।
इसे नवंबर 2011 में ही बनकर तैयार होना था, लेकिन इसे बनाने की अंतिम तिथि तीन बार बढ़ानी पड़ी। ताजा समीक्षा में भारत के शहरी विकास विभाग के सचिव मधुसूदन प्रसाद और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने पाया कि भवन का काम 96 फीसदी पूरा हो चुका है।
टीओएलओ न्यूज के मुताबिक, इस भवन के निर्माण पर 4 करोड़ 50 लाख डॉलर का खर्च आना था। लेकिन, बाद में यह बढ़कर 9 करोड़ डॉलर हो गया। इस भवन का डिजाइन मुगल और आधुनिक स्थापत्य कला पर आधारित है। इसका गुंबद एशिया का सबसे बड़ा गुंबद होगा।
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