प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक सुधार अभियान को आगे बढ़ाने के अपने प्रयासों के बीच कहा है कि सुधार प्रक्रिया का विरोध होना तय है और इसे राजनीतिक दबाव से मुक्त रखा जाना चाहिए।
आर्थिक सुधारों की कड़ी वकालत करते हुए मोदी ने ब्रिसबेन में आयोजित एक भोज में जी-20 के अपने साथी नेताओं से कहा कि सुधारों से प्रक्रिया का सरलीकरण होना चाहिए तथा प्रशासन के तौर-तरीकों में सुधार किया जाना चाहिए।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट द्वारा क्वींसलैंड संसद भवन में समारोह का आयोजन ब्रिसबेन कन्वेंशन सेंटर में जी-20 की वार्षिक शिखर बैठक से तुरंत पहले किया गया, जिसमें नेताओं ने अपने सहायकों के बिना सीधे आपस में मुलाकात की।
जी-20 के नेताओं को भोज दिया गया। इस समारोह में मोदी ने कहा, सुधारों का विरोध होना तय है... इन्हें राजनीतिक दबावों से बचाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सुधारों की कमान लोगों के हाथों में होनी चाहिए और इन्हें गुपचुप तरीके से नहीं किया जा सकता।
सुधारों को लोगों पर केंद्रित और लोगों द्वारा संचालित होने की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सुधार इस अवधारणा के चलते पंगु हैं कि ये सरकारी कार्यक्रम हैं तथा लोगों पर बोझ हैं। इसे बदलने की जरूरत है। मोदी ने महसूस किया कि सुधारों से प्रक्रियाओं का सरलीकरण होना चाहिए और यह भी कि प्रशासन के तौर-तरीकों में सुधार होना चाहिए।
सुधारों को एक सतत बहु-चरणीय प्रक्रिया तथा इसे संस्थागत स्वरूप प्रदान किए जाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तकनीक से संचालित होना चाहिए और इससे मूल कारणों का समाधान होना चाहिए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया था कि प्रधानमंत्री एबॉट ने विशेष रूप से मोदी से अपील की थी कि वह मुख्य शिखर बैठक में हस्तक्षेप करने के अलावा जी-20 के नेताओं की अनौपचारिक बैठक में सुधारों के प्रति अपने दृष्टिकोण का खाका पेश करें।
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