क्वाड (QUAD) नेताओं की बैठक में शामिल होने के लिए दो दिन की यात्रा पर जापान (Japan) पहुंचे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने जापान के बड़े अखबार में एक संपादकीय लिखा है. उन्होंने लिखा है कि कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह से वैश्विक तनाव बढ़ा है और हिंद महासागर में स्थायित्व और सुरक्षा की नई चुनौतियां खड़ी हुई हैं, उससे भारत-जापान संबंधों पर अब कोरोना से निपटने के साथ ही और भी नई ज़िम्मेदारियां आ गई हैं. भारत-जापान संबंधों के नए लक्ष्य बन गए हैं. अब मजबूत सप्लाई चेन बनाने की जरूरत पहले से भी अधिक है. मानवकेंद्रित विकास का मॉडल तैयार करना होगा. साथ ही स्थाई और मजबूत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों का महत्व पहले से भी अधिक बढ़ गया है जो किसी भी नुकसान को झेलने की क्षमता रखते हों.
उन्होंने कहा कि, "भारत और जापान के बीच संबंध विशेष हैं, रणनीतिक हैं और वैश्विक हैं."
Penned an op-ed on the vibrant relations between India and Japan. Ours is a partnership for peace, stability and prosperity. I trace the journey of our special friendship which completes 70 glorious years. @Yomiuri_Online https://t.co/nXx8y3qiQL
— Narendra Modi (@narendramodi) May 23, 2022
चार देशों के समूह क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. यह हिंद-प्रशांत में आपसी महत्व के रणनीतिक हितों पर आधारित है. सदस्य देशों ने कहा कि वो लोकतंत्र, स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर आधारित नियमों के मूल्य साझा करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत और जापान खुले, मुक्त और समग्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए सहयोग देगें. इसमें सुरक्षित सागर, समग्र, व्यापार और निवेश शामिल है,जो संप्रभुता और सीमाई संप्रभुता से परिभाषित होता है और अंतरराष्ट्रीय कानून से जुड़ा हुआ है."
चीन लगभग सारे विवादित दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है. हालांकि ताइवान, फिलिपीन्स, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं. चीन ने दक्षिण चीन सागर में मानवनिर्मित द्वीप और सैन्य ठिकाने बना दिए हैं. चीन का पूर्वी चीन सागर में समुद्री सीमा को लेकर जापान के साथ भी विवाद है.
प्रधानमंत्री मोदी फिलहाल जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर जापान पहुंचे हैं. योमियुरी शिमबुन (Yomiuri Shimbun newspaper) अखबार में लिखे अपने संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों के रक्षा, निर्माण, साइबर क्षेत्र, अंतरिक्ष और समुद्र के नीचे के मामलों में आपसी साझेदारी पर प्रमुखता से बात की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपादकीय में बताया, " मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था तभी से मुझे जापान के लोगों से बातचीत का लगातार अवसर मिला. जापान की विकासशीलता हमेशा प्रशंसनीय रही है. जापान भारत के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनीक, इनोवेशन, स्टार्टअप जैसे कई क्षेत्रों में अहम साझेदार है."
आगे उन्होंने लिखा, बोधिसेना से स्वामी विवेकानंद तक, भारत-जापान के सांस्कृतिक रिश्तों का लंबा इतिबास रहा है. हम लंबे समय से एक -दूसरे का सम्मान करते हैं और एक दूसरे से सीखते हैं. महात्मा गांधी के निजी सामनों में मिजारू, किकाजारू और इवाजारू, तीन बुद्धिमान बंदरों की मूर्तियां भी थीं.
जस्टिस राधा विनोद पाल, जापान में जाना-पहचाना नाम है और गुरुदेव टैगोर का जापान के लिए प्रेम और ओकाकुरा तेनशिन के साथ उनके संवाद दोनों देशों के कलाकारों और बौद्धिकों के बीच शुरुआती विदेशी संवादों में अहम हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, इन गहरे तारों ने भारत और जापान के बीच आधुनिक साझेदारी की मजबूत बुनियाद रखी. हम जब दोनों देशों के औपचारिक कूटनीतिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तब भी हमारे संबंधों का खिलना जारी है.
उन्होंने कहा कि जापान की तकनीक और क्षमता की दूरदर्शिता थी बल्कि जापान के नेतृत्व और व्यापार की लंबे समय की गंभीरता भी थी जिसने जापान को गुजरात का पसंदीदा इंडस्ट्री पार्टनर बनाया और वाइब्रेंट गुजरात में जापान का अहम स्थान रहा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जबसे भारत और जापान के बीच 1952 में कूटनीतिक संबंध बने, तब से हमारे आपसी संबंधों ने एक लंबा रास्ता तय किया है. लेकिन मेरे विचार में सबसे बेहतर समय अभी आने को है. आज, जब हम कोरोना के बाद के समय में अपनी अर्थव्यवस्थाओं के तार फिर से ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं, भारत-जापान संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए अभी बहुत से अवसर बाकी है जो व्यापार और निवेश से लेकर रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र तक फैले हैं.
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