रियाद पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत करते वहां के गवर्नर
रियाद:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तेल की प्रचुरता वाले देश सउदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर शनिवार को रियाद पहुंचे। इस देश की मोदी की पहली यात्रा है। इस यात्रा के दौरान दोनों देश अपने सामरिक भागीदारी को मजबूत करने के समझौते करने के साथ ही सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर देंगे।
मोदी और सउदी नेतृत्व के बीच होने वाली वार्ताओं में आतंकवाद और कट्टरवाद के खतरों से निपटने का विषय प्रमुख रहेगा। सउदी अरब इस्लाम का आध्यात्मिक स्थल माना जाता है जिसने हाल ही में आतंकवाद खासकर आईएसआईएस के खिलाफ लड़ने के लिए 34 मुस्लिम देशों का एक बड़ा गठबंधन बनाया है।
विश्व के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक सउदी अरब के साथ भारत के संबंध पिछले दो दशकों में काफी प्रगाढ़ हुए हैं। ऊर्जा संबंधों पर आधारित इन रिश्तों को अब खरीदार और बेचने वाले से आगे बढ़कर संयुक्त उद्यमों, रिफायनरियों तथा तेल क्षेत्र में निवेश की ओर विकसित करने के प्रयास होंगे।
इस संदर्भ में मोदी इस खाड़ी देश में तेल एवं गैस उत्खनन में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को और गहरा करने का प्रयास करेंगे। कच्चे तेल के दामों में कमी के कारण सउदी अरब की अर्थव्यवस्था पिछले दिनों मंदी के दौर से गुजर रही है।
सउदी अरब के पाकिस्तान के साथ बहुत नजदीकी संबंध हैं और भारत, पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों द्वारा किये जाने वाले हमलों के विषय को भी सउदी नेतृत्व के समक्ष उठा सकता है।
मोदी, सउदी अरब जाने वाले चौथे प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले 2010 में मनमोहन सिंह, 1982 में इंदिरा गांधी और 1956 में जवाहर लाल नेहरू यहां आए थे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मोदी और सउदी नेतृत्व के बीच होने वाली वार्ताओं में आतंकवाद और कट्टरवाद के खतरों से निपटने का विषय प्रमुख रहेगा। सउदी अरब इस्लाम का आध्यात्मिक स्थल माना जाता है जिसने हाल ही में आतंकवाद खासकर आईएसआईएस के खिलाफ लड़ने के लिए 34 मुस्लिम देशों का एक बड़ा गठबंधन बनाया है।
विश्व के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में से एक सउदी अरब के साथ भारत के संबंध पिछले दो दशकों में काफी प्रगाढ़ हुए हैं। ऊर्जा संबंधों पर आधारित इन रिश्तों को अब खरीदार और बेचने वाले से आगे बढ़कर संयुक्त उद्यमों, रिफायनरियों तथा तेल क्षेत्र में निवेश की ओर विकसित करने के प्रयास होंगे।
इस संदर्भ में मोदी इस खाड़ी देश में तेल एवं गैस उत्खनन में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को और गहरा करने का प्रयास करेंगे। कच्चे तेल के दामों में कमी के कारण सउदी अरब की अर्थव्यवस्था पिछले दिनों मंदी के दौर से गुजर रही है।
सउदी अरब के पाकिस्तान के साथ बहुत नजदीकी संबंध हैं और भारत, पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों द्वारा किये जाने वाले हमलों के विषय को भी सउदी नेतृत्व के समक्ष उठा सकता है।
मोदी, सउदी अरब जाने वाले चौथे प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले 2010 में मनमोहन सिंह, 1982 में इंदिरा गांधी और 1956 में जवाहर लाल नेहरू यहां आए थे।
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