पेरिस : भारत में दक्षिणपंथी समूहों की गतिविधियों में इजाफे के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार सभी धर्मों के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगी।
मोदी ने पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में अपने संबोधन में विश्व समुदाय से भी कहा कि वह चरमपंथ और हिंसा की ऊंची उठती लहरों पर काबू पाने के लिए संस्कृति और धर्म पर गहराई से विचार करे। उन्होंने कहा, ‘हम प्रत्येक नागरिक के अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा और संरक्षा करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर आस्था, हर संस्कृति और हर नस्ल के प्रत्येक नागरिक का हमारे समाज में समान दर्जा हो। भविष्य में विश्वास हो।’
मोदी ने कहा कि विश्व के कई हिस्सों में संस्कृति संघर्ष का एक स्रोत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि संस्कृति जोड़ने वाली होनी चाहिए न कि बांटने वाली और इसे लोगों के बीच गहरे सम्मान और समझ का सूत्र बनना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें दुनियाभर में चरमपंथ, हिंसा और विभाजन की ऊंची उठती लहरों पर काबू पाने के लिए अपनी संस्कृतियों, परंपराओं और धर्मों पर गहराई से जाना चाहिए।’
मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थित समूहों द्वारा ‘घर वापसी’ जैसी गतिविधियों पर काबू पाने में विफल रहने के लिए विपक्षी दलों के साथ ही कुछ अल्पसंख्यक समूहों की भी आलोचना का शिकार हो रही है।
जलवायु परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौती बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने अगले सात सालों में 175,000 मेगावाट स्वच्छ और रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। उनकी यह टिप्पणियां इस वर्ष यहां संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर होने वाली महत्वपूर्ण बैठक से पूर्व आई हैं। मोदी ने यह भी कहा कि भारत के संविधान की नींव सभी के लिए शांति और समृद्धि के मूलभूत सिद्धांत पर टिकी है।
उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक नागरिक के आपस में जुड़े हाथों से राष्ट्र की मजबूती तय होती है और असली तरक्की सबसे कमजोर व्यक्ति के सशक्तिकरण के जरिए मापी जाती है।’ बड़ी संख्या में अप्रवासी भारतीयों की मौजूदगी वाले उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘हमने खुलेपन और सहअस्तित्व की कालातीत परंपरा के साथ एक प्राचीन धरती पर आधुनिक राज्य का निर्माण किया है... अद्भुत विविधता वाला समाज।’
उन्होंने कहा, ‘करीब एक साल पहले पदभार संभालने के बाद से यही हमारा पंथ है।’ प्रधानमंत्री ने इस बात का विशेष रूप से उल्लेख किया कि ‘संस्कृति हमारे विश्व को जोड़ने वाली होनी चाहिए, तोड़ने वाली नहीं’ और यह लोगों के बीच गहरे सम्मान और समझ का पुल बननी चाहिए।
देश के विकास के लिए उनकी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में मोदी ने कहा, ‘हमें अपनी तरक्की विकास के रूखे आंकड़ों से नहीं मापनी चाहिए बल्कि मानवीय चेहरों पर विश्वास और उम्मीदों की चमक से मापनी चाहिए। मेरे लिए इसके बहुत मायने हैं।’ भारतीय संविधान को उदधृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी नींव इस मूलभूत सिद्धांत पर टिकी है कि ‘सभी के लिए शांति और समृद्धि, व्यक्तिगत कल्याण से अविभाज्य है।’
(इनपुट भाषा से)
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