
- पेरू के नए राष्ट्रपति ने राजधानी लीमा और एक प्रांत में 30 दिनों का आपातकाल घोषित कर दिया है
- इस आपातकाल के तहत संवैधानिक अधिकार सीमित कर दिये गए हैं, विरोध प्रदर्शन पर पूरी तरह रोक है
- राष्ट्रपति जेरी के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें हिंसा हुई और प्रदर्शनकारियों ने उनके इस्तीफे की मांग की है
बांग्लादेश, नेपाल, फिर मेडागास्कर और अब पेरू… युवाओं ने दुनिया को एक-एक कर दिखा दिया है कि अगर सरकार उनकी मांगों के सामने बहरी बनी रहेगी तो वो सड़कों पर उतरेंगे और जरूरत पड़ी तो अपनी मांग मनवाने के लिए हिंसा का सहारा भी लेंगे. पेरू में नए राष्ट्रपति को कुर्सी मिली है लेकिन बढ़ते भ्रष्टाचार और क्राइम से तंग आ चुके युवाओं ने उनको हटाने का मन बना लिया है. लेकिन नए राष्ट्रपति भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. उन्होंने पेरू की राजधानी लीमा और पास के एक प्रांत में 30 दिनों के लिए आपातकाल यानी इमरजेंसी की घोषणा कर दी है.
एपी की रिपोर्ट के अनुसार इस इमरजेंसी के पहले दिन पेरू की पूरी राजधानी मानो छावनी बन गई, बड़ी संख्या में सैनिकों और पुलिस को सड़कों पर गश्त करते देखा गया. अपराध पर लगाम लगाने के प्रयास में नए राष्ट्रपति जोस जेरी द्वारा लगाई गई इस इमरजेंसी के बीच कई संवैधानिक अधिकार खत्म से हो गए हैं. न जनता अब एक साथ कही इकट्ठा हो सकती है न विरोध- प्रदर्शन कर सकती है. यहां तक कि मोटरसाइकिल पर दो वयस्क भी एक साथ नहीं सवारी कर सकते. कैदियों से मुलाकात को भी सीमित कर दिया गया है और लाइट बल्ब को छोड़कर जेल की कोठरियों में बिजली कटौती की अनुमति दे दी गई है.
नए राष्ट्रपति का कहना है कि उन्होंने इमरजेंसी क्राइम को रोकने के लिए लगाई है, जिसकी मांग जनता कर रही है. हालांकि, पेरू की जनता को इस बात का संदेह है कि नए राष्ट्रपति जेरी के यह आदेश काम भी करेगा. इसकी वजह है कि पूर्व राष्ट्रपति दीना बोलुआर्ट ने भी ठीक यही किया था लेकिन वह कदम अप्रभावी साबित हुआ.
जनता को पुराने राजनेताओं पर भरोसा नहीं
जेरी आठ वर्षों के अंतराल में पेरू का नेतृत्व करने वाले सातवें राष्ट्रपति हैं. संसद के प्रमुख के रूप में, वह अगले साल अप्रैल में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तक अंतरिम रूप से राष्ट्रपति बनने की कतार में सबसे आगे थे. लेकिन उनके पदभार ग्रहण करने के कुछ ही दिनों के भीतर ही प्रदर्शनकारी सड़क पर आ गए. उनका "राजनीतिक वर्ग" से भरोसा टूट चुका है. उन्हें नए लोग चाहिए.
प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि सरकार भ्रष्टाचार और अपराध, विशेष रूप से जबरन वसूली की लहर से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करे. उनका कहना है कि बस और टैक्सी चालकों को क्राइम गैंग धमकी देते हैं. उनकी मांग है कि जेरी पद छोड़ दें और किसी स्वतंत्र सांसद को राष्ट्रपति बनाया जाए.
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