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This Article is From Mar 05, 2022

पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ीं, FATF की ग्रे सूची में अब भी रखा गया बरकरार

एक बार फिर शुक्रवार को फ्रांस (France) की राजधानी पेरिस में हुई वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force) की बैठक के आखिरी दिन पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकार रखा है.

पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ीं, FATF की ग्रे सूची में अब भी रखा गया बरकरार
ग्रे सूची में बने रहने से देश की आर्थिक समस्याएं और बढ़ रही हैं.
इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) की मुशकिले फिर बढ़ी. एक बार फिर शुक्रवार को फ्रांस (France) की राजधानी पेरिस में हुई वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force) की बैठक के आखिरी दिन पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकार रखा है. यानी पाकिस्तान का नाम ग्रे लिस्ट की सूची से नहीं हटाया जा रहा है. इसे जून 2022 तक ग्रे लिस्ट की सूची में रहना होगा. गौरतलब है, जून 2018 से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी शर्तों को पूरा न करने के कारण पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में से नही हटाया गया. बता दें, संयुक्त अरब अमीरात को भी ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया है चार दिवसीय FATF की बैठक एक मार्च शुरू हुई थी.

पाकिस्तान जून 2018 से पेरिस स्थित एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है. पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में विफल रहा है, जिसके कारण आतंकी वित्तपोषण को बढ़ावा मिला. समाचार पत्र ‘द डॉन' की खबर के मुताबिक, कार्य योजना के 34 में से 32 बिंदुओं को पूरा करने के बावजूद एफएटीएफ की पूरक बैठक के शुक्रवार को हुए समापन सत्र में पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची' में ही रखने का फैसला किया गया है. हालांकि, वित्तीय अपराधों से लड़ने के लिए अपनी वैश्विक प्रतिबद्धताओं पर पाकिस्तान के मजबूत कार्यक्रम के लिए एफएटीएफ की पूरक बैठक के समापन सत्र में उसकी सराहना की गई.

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गौरतलब है कि अक्टूबर 2021 में एफएटीएफ ने अपनी 27 सूत्री कार्य योजना के 26 बिंदुओं पर पाकिस्तान के प्रगति करने की बात स्वीकार की थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूहों के शीर्ष कैडर के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण की जांच और अभियोजन को लेकर उसने इस्लामाबाद को अपनी ग्रे सूची (अधिक निगरानी वाली सूची) में बरकरार रखा था. एफएटीएफ ने यह भी स्वीकार किया था कि पाकिस्तान ने धनशोधन पर एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) के सात कार्य योजना के बिंदुओं को भी पूरा किया है. उसने कहा कि एपीजी से मिली 2021 की हालिया कार्य योजना मुख्य रूप से धनशोधन पर केंद्रित थी और उसने इसके क्रियान्वयन में गंभीर कमियां पाई थीं.

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खबर के मुताबिक एफएटीएफ ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अपने धन शोधन विरोधी अभियान के अलावा आतंकवाद के वित्तपोषण (एएमएल/सीएफटी) के खिलाफ बेहतर काम किया है. एफएटीएफ ने पाकिस्तान से कहा कि उसे जल्द से जल्द आतंकवाद के वित्तपोषण की जांच के मामलों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के आतंकवादियों और कमांडरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे करीबी सहयोगियों की मदद से एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से बचता आया है. हालांकि, ग्रे सूची में बने रहने के कारण इस्लामाबाद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है, जिससे देश के लिए आर्थिक समस्याएं और बढ़ रही हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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