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This Article is From Jan 18, 2013

पाक सरकार ने कादरी के सामने आखिर घुटने टेके, किया समझौता

पाक सरकार ने कादरी के सामने आखिर घुटने टेके, किया समझौता
इस्लामाबाद: कई समस्याओं से घिरी पाकिस्तान सरकार ने देर रात देश के तेजतर्रार मौलवी ताहिर-उल-कादरी के साथ समझौता कर संसद के नजदीक चल रहा उनका प्रदर्शन समाप्त करवाकर राहत की सांस ली। उनके साथ समझौता कर सरकार ने अगले आम चुनाव से पहले एक कामचलाऊ प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने सहित उनकी तमाम मांगों के सामने घुटने टेक दिए।

कादरी और सरकार के 11 सदस्यीय दल के बीच पांच घंटे तक चली बातचीत के बाद पांच सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। बातचीत उसी जगह हुई, जहां कादरी अपने हजारों समर्थकों के साथ प्रदर्शन कर रहे थे।

सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और उनके सहयोगी दलों ने कादरी की ज्यादातर मांगें मान ली हैं। इनमें नेशनल एसेम्बली को भंग करने और चुनाव सुधारों पर अमल की मांग शामिल है।

समझौते पर कादरी, प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ और सरकारी वार्ताकार दल के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। समझौते में चुनाव सुधारों में मौलवी की पार्टी पाकिस्तान आवामी तहरीक के लिए प्रमुख भूमिका तय करने और एक कामचलाऊ प्रधानमंत्री की नियुक्ति की बात कही गई है।

समझौते के अनुसार, सरकार पाकिस्तान आवामी तहरीक की पूर्ण सहमति से कामचलाउ प्रधानमंत्री के पद के लिए दो ईमानदार और निष्पक्ष लोगों का नाम सुझाएगी। कादरी ने अपने समर्थकों से कहा कि कामचलाऊ प्रधानमंत्री का चयन ‘पूरी तरह आम सहमति’ से किया जाएगा और अगर उनकी पार्टी को इसमें शामिल नहीं किया गया तो वह इसका विरोध करेगी। समझौते के अनुसार, नेशनल असेम्बली अथवा संसद के निचले सदन को 16 मार्च को उसका कार्यकाल समाप्त होने से पहले भंग कर दिया जाएगा ताकि अगले 90 दिन के भीतर चुनाव कराए जा सकें।

कादरी की चुनाव आयोग में बदलाव करने की मांग पर सरकारी नेताओं और पाकिस्तान आवामी तहरीक के नेताओं के बीच 27 जनवरी को लाहौर में बातचीत होगी।

कानून मंत्री फारूक नाएक चुनाव आयोग में प्रस्तावित परिवर्तनों पर विचार के लिए प्रमुख वकीलों के साथ एक बैठक करेंगे।

उम्मीदवारों को संविधान की धारा 62 और 63 के तहत ‘‘पूर्व मंजूरी’’ देने के लिए चुनाव आयोग द्वारा उनके नामांकन पत्रों की जांच के लिए एक महीने का समय दिया जाएगा।

समझौते के अनुसार, किसी उम्मीदवार को जब तक चुनाव आयोग से पूर्व मंजूरी नहीं मिलेगी, तब तक वह उसे अपना चुनाव अभियान शुरू करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

समझौते में कहा गया है कि प्रस्तावित चुनाव सुधार संविधान की धारा 62, 63 और 218 (3), जन प्रतिनिधि कानून और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप होने संबंधी कादरी की मांग पर आधारित होंगे।

दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि कादरी के आंदोलन के दौरान एक-दूसरे के खिलाफ दायर किए तमाम मामले वापस ले लेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि ‘द्वेष और निशाना बनाने जैसी कोई गतिविधि’ न हो। ‘इस्लामाबाद लॉन्ग मार्च डिक्लेरेशन’ पर हस्ताक्षर के बाद कादरी ने अपने समर्थकों से प्रदर्शन स्थल से लौट जाने को कहा। दोनो पक्षों के बीच समझौते के संबंध में जानकारी मिलते ही मौलवी के समर्थको ने जश्न मनाना और नारे लगाना शुरू कर दिया।

बातचीत कादरी के बुलेटप्रूफ प्रकोष्ठ में हुई। प्रकोष्ठ की बड़ी-सी खिड़की से लिए गए दृश्य टेलीविजन पर दिखाए गए, जिनमें कादरी और सरकार के नेताओं को गहन विचार-विमर्श में शामिल दिखाया गया।

इससे पूर्व गुरुवार को दिन में कादरी ने सरकार से बातचीत की पेशकश मिलने के बाद अपनी मांगें स्वीकार करने के लिए सरकार को दी गई मोहलत को बढ़ा दिया।

तहरीक मिंजाह उल कुरान संगठन के प्रमुख ने अपने समर्थकों से कहा कि वह दोनों पक्षों के बीच समझौता होने तक वहीं डटे रहें।

कादरी और उनके समर्थक मंगलवार से संसद के निकट धरने पर बैठे थे। लाहौर से इस्लामाबाद आने के बाद से कादरी ने अपनी मांगें मनवाने के लिए सरकार को दी गई समय सीमा कई बार बढ़ाई। हालांकि शुरू में सरकार इसे लगातार नजरअंदाज करती रही, लेकिन देर रात उसने लगातार बढ़ते दबाव के सामने घुटने टेक दिए।

पिछले दो दिनों में मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट्स में इस बात को लेकर कादरी की खासी आलोचना हुई कि वह इस्लामाबाद में विरोध-प्रदर्शन के लिए ढेरों बच्चों और महिलाओं को भी यहां लाए हैं। बहुत से प्रदर्शनकारी जाड़े में प्रदर्शन पर बैठे थे और खुले आसमान के नीचे सो जाते थे। पीपीपी ने पहले कहा था कि कादरी की मांगें संविधान का उल्लंघन किए बिना नहीं मानी जा सकतीं।

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