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This Article is From Aug 27, 2012

जरदारी मामले में अशरफ को 18 सितम्बर तक मोहलत

जरदारी मामले में अशरफ को 18 सितम्बर तक मोहलत
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालयी आदेश का क्रियान्वयन न करने के लिए कारण बताओ नोटिस का सामना कर रहे प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को 18 सितम्बर तक तीन सप्ताह की मोहलत दे दी। इस अवधि के दौरान उन्हें राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विस प्रशासन को पत्र लिखना है।

डान के मुताबिक अशरफ (61) ने न्यायालय से अनुरोध किया कि स्विस प्रशासन को पत्र लिखने के लिए उन्हें चार से छह सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया जाए।

अशरफ ने न्यायालय से कहा, "मामले को समझने के लिए मुझे समय चाहिए, क्योंकि इसमें कई कानूनी और संवैधानिक पेंच शामिल हैं।" उन्होंने यह अपील भी की कि कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया जाए।

अशरफ ने कहा, "संवैधानिक और कानूनी विशेषज्ञों की मदद लेने के लिए मुझे न्यायालय से पर्याप्त समय चाहिए।"

अशरफ के पूर्ववर्ती यूसुफ रजा गिलानी को न्यायालय ने इसी मामले में न्यायालय के आदेश को अस्वीकार करने के लिए अवमानना का दोषी पाया था और उन्हें अयोग्य करार दे दिया था।

जियो न्यूज के अनुसार, सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने प्रारम्भ में 12 सितम्बर तक की मोहलत दी, जबकि अशरफ ने अपनी पेशेवर व्यस्तताओं के मद्देनजर 16 सितम्बर तक का समय मांगा था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह 14 सितम्बर तक चीन में होंगे, इसलिए अधिक समय दिया जाना चाहिए।

उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अशरफ को 18 सितम्बर को पेश होने का आदेश दिया और सुनवाई स्थगित कर दी।

इसके पहले अशरफ ने न्यायालय के बाहर जमा भारी भीड़ का अभिवादन करने के बाद न्यायालय परिसर में प्रवेश किया।

न्यायमूर्ति आसिफ सईद खान खोसा, न्यायमूर्ति एजाज अफजल खान, न्यायमूर्ति एजाज अहमद चौधरी, न्यायमूर्ति गुलजार अहमद और न्यायमूर्ति मुहम्मद अतहर सईद की पांच सदस्यीय विशेष पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।

न्यायमूर्ति आसिफ खोसा ने कहा कि अशरफ को स्वयं पत्र नहीं लिखना है। पत्र लिखने की जिम्मेदारी वह किसी और को दे सकते हैं।

समाचार एजेंसी ऑनलाइन के अनुसार, न्यायालय ने प्रधानमंत्री की पेशी की प्रशंसा की और कहा कि वह आरोपी के रूप में नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के रूप में पेश हो रहे हैं, क्योंकि उनके खिलाफ कोई आरोप तय नहीं हुआ है।

बहरहाल, सर्वोच्च न्यायालय ने आठ अगस्त को यह नोटिस जारी किया था। आदेश में कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ने न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया।

न्यायालय ने 25 जुलाई को जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने के लिए स्विस प्रशासन को पत्र लिखने के लिए अशरफ को आठ अगस्त तक का समय दिया था।

भ्रष्टाचार के आरोपी जरदारी को राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) के तहत 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा छूट दी गई थी। इस अध्यादेश के जरिए ही जरदारी और उनकी पत्नी पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की स्वदेश वापसी सम्भव हो सकी थी।

जरदारी और भुट्टो पर सीमा शुल्क निरीक्षण के ठेके चाहने वाली कम्पनियों से 1990 के दशक में कथितरूप से प्राप्त लगभग 1.20 करोड़ डॉलर की रिश्वत राशि की हेरा-फेरी के लिए स्विस खातों का इस्तेमाल करने का आरोप है।

एनआरओ राजनीतिज्ञों व नौकरशाहों को भ्रष्टाचार के मामलों में छूट देता है। लेकिन इस अध्यादेश को सर्वोच्च न्यायालय ने 2009 में अवैध करार दे दिया था।

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