पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ के लिए कानूनी रूप से मुश्किलें बढ़ गई हैं। राष्ट्रद्रोह मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने शनिवार को उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया और सात फरवरी को उनकी उपस्थिति का आदेश दिया।
तीन न्यायाधीशों वाली अदालत ने मुशर्रफ की उपचार के लिए विदेश जाने की अनुमति मांगने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया।
उधर, मुशर्रफ को हिरासत में लेने की संभावना नहीं है, क्योंकि अदालत ने कहा है कि 25 लाख रुपए का मुचलका जमा करने पर उन्हें जमानत मिल सकती है।
अदालत के रजिस्ट्रार ने फैसला पढ़ा। इससे पहले दिन में फैसले को उस वक्त सुरक्षित रख दिया गया था, जब बचाव और अभियोजन पक्षों के वकीलों ने अपनी दलीलें पूरी कीं। अदालत ने इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख के आदेश पर अमल करने को कहा है।
मुशर्रफ के वकील फैसल चौधरी ने कहा, 'हम आदेश का अध्ययन करेंगे और अगर कोई गैरकानूनी बात है तो हम चुनौती देंगे।' उन्होंने कहा कि अदालत ने कहा है कि उसके पास गृह मंत्रालय की 'एक्जिट कंट्रोल लिस्ट' से मुशर्रफ का नाम हटाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ हाईकोर्ट कर सकता है। इस सूची में शामिल व्यक्ति विदेश नहीं जा सकता है।
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