म्यांमार से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान जान बचाकर बंग्लादेश की सीमा में आ रहे हैं (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
पाकिस्तानी कैबिनेट ने म्यांमार में निर्दोष रोहिंग्या मुस्लिमों की हत्या की निंदा करते हुए आज एक प्रस्ताव पारित किया है.
इस प्रस्ताव में नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची से म्यांमार में किये जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए तुरन्त कदम उठाने का आहवान किया गया है. म्यांमार में सू ची की पार्टी सत्ता में है.
पढ़ें: देश के सभी लोगों के संरक्षण के लिए काम कर रही है म्यांमार सरकार :आंग सान सू की
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई. प्रस्ताव में कहा गया है निहत्थे नागरिकों के खिलाफ की जा रही क्रूर और बर्बर कार्रवाई न केवल सरकारी आतंकवाद है बल्कि देशों और समाजों में सामूहिक मानव विवेक पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है.
पढ़ें: दुनिया के ऐसे लोग जो किसी देश के नागरिक नहीं, जानें- कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान?
प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र से म्यामां में तुरन्त हिंसा रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की गयी है. म्यांमार के राखिन प्रांत में 25 अगस्त को फिर से हिंसा हुई. उस दिन रोहिंग्या लोगों ने कई पुलिस चौकियों पर हमला किया और सेना की जवाबी कार्रवाई में कम से कम 400 लोगों की मौत हो गई. सैनिकों और सशस्त्र निवासियों पर रोहिंग्या मुस्लिम पुरूषों और महिलाओं तथा बच्चों की हत्या का आरोप है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस प्रस्ताव में नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची से म्यांमार में किये जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए तुरन्त कदम उठाने का आहवान किया गया है. म्यांमार में सू ची की पार्टी सत्ता में है.
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एक आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई. प्रस्ताव में कहा गया है निहत्थे नागरिकों के खिलाफ की जा रही क्रूर और बर्बर कार्रवाई न केवल सरकारी आतंकवाद है बल्कि देशों और समाजों में सामूहिक मानव विवेक पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है.
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प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र से म्यामां में तुरन्त हिंसा रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की गयी है. म्यांमार के राखिन प्रांत में 25 अगस्त को फिर से हिंसा हुई. उस दिन रोहिंग्या लोगों ने कई पुलिस चौकियों पर हमला किया और सेना की जवाबी कार्रवाई में कम से कम 400 लोगों की मौत हो गई. सैनिकों और सशस्त्र निवासियों पर रोहिंग्या मुस्लिम पुरूषों और महिलाओं तथा बच्चों की हत्या का आरोप है.
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