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'विदेशी ताकतों के लिए काम कर रहे हैं 3 कठपुतली' : इमरान खान के राष्ट्र के नाम संबोधन की बड़ी बातें

राष्ट्र के नाम सीधे प्रसारण वाले एक संबोधन में खान (69) ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का चाहे जो कुछ नतीजा आए, वह और अधिक मजबूत होकर लौटेंगे.

उन्होंने नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बावजूद संकेत दिया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे

नई दिल्ली:

पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार रात राष्ट्र को संबोधित किया. इससे पहले उन्होंने नेशनल असेंबली में बहुमत खोने के बावजूद संकेत दिया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. साथ ही, जोर देते हुए कहा कि वह रविवार को होने वाले ‘‘अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान’’ का सामना करेंगे. राष्ट्र के नाम सीधे प्रसारण वाले एक संबोधन में खान (69) ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का चाहे जो कुछ नतीजा आए, वह और अधिक मजबूत होकर लौटेंगे.

  • इमरान खान ने ‘धमकी वाले एक पत्र' पर भी चर्चा की, जिसे उन्होंने कथित तौर पर उनकी गठबंधन सरकार को गिराने के लिए विदेशी साजिश का ‘सबूत' बताया. उन्होंने इस इस धमकी के पीछे अमेरिका का नाम लिया, जो शायद जुबान फिसलने के कारण ऐसा हुआ. उन्होंने कहा, ‘हमारी नीति अमेरिका विरोधी, यूरोप, या यहां तक कि भारत विरोधी नहीं थी. नयी दिल्ली द्वारा अगस्त 2019 में अंतरराष्ट्रीय कानून को तोड़ने और कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के बाद यह भारत विरोधी बन गई.'

  • सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि यहां बैठे हमारे लोग विदेशी ताकतों के संपर्क में हैं. उन्होंने इस संबंध में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के मौलाना फजलुर रहमान का हवाला दिया.

  • क्या दूसरे देश ऐसे भ्रष्ट लोगों को अपने राज्यों में सत्ता में चाहते हैं? वे ऐसे भ्रष्ट नेताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन मैं उन्हें स्वीकार्य नहीं हूं.

  • आखिरी गेंद तक खेलेंगे और रविवार को अविश्वास प्रस्ताव तय करेगा कि देश किस दिशा में जाएगा.

  • मैं आज अपने राष्ट्र से कह रहा हूं कि यह हमारी हालत है. हम 22 करोड़ आबादी वाला देश हैं और दूसरा देश...वे (धमकी देने का) कोई कारण नहीं बता रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इमरान खान ने अपने दम पर रूस जाने का फैसला किया, भले ही विदेश कार्यालय और सैन्य नेतृत्व से सलाह ली गई हो.
  • पाकिस्तान का लक्ष्य बड़ा था. 25 साल पहले जब मैंने राजनीति में कदम रखा तो मेरे घोषणापत्र में तीन चीजें थीं, 1. न्याय, 2. मानवता, 3. गर्व.
  • न तो मैं किसी के सामने झुकने वाला हूं और न ही अपनी कौम को ऐसा करने दूंगा. हमें चींटियों की तरह क्यों रेंगना चाहिए? अपने लोगों को किसी के आगे झुकने नहीं देंगे.
  • एक विदेशी देश (अमेरिका) निर्वाचित प्रधानमंत्री के खिलाफ काम कर रहा है. विदेशी ताकतों के लिए 3 कठपुतली काम कर रहे हैं.
  • भारत और अमेरिका में मेरे बहुत सारे दोस्त हैं. मेरी किसी के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है. मैं सिर्फ उनकी नीतियों की निंदा करता हूं.
  • जब मैं बच्चा था तो मुझे याद है कि पाकिस्तान शीर्ष पर पहुंच रहा है. दक्षिण कोरिया यह जानने के लिए पाकिस्तान आया था कि हम कैसे आगे बढ़े, मलेशियाई राजकुमार मेरे साथ स्कूल में पढ़ते थे. मीडिल ईस्ट देश हमारे विश्वविद्यालयों में आया करते थे. मैंने यह सब खत्म होते देखा है, अपने देश का अपमान होते देखा है.

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