पाकिस्तान (Pakistan) में सरकार के बहुमत पर चर्चा होने की पूर्व संध्या पर विपक्षी गठबंधन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वे विश्वास मत का बहिष्कार करेंगे और दावा किया कि सीनेट चुनाव में उनके उम्मीदवार की जीत ही प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘‘अविश्वास प्रस्ताव'' है. पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि शनिवार को होने वाले नेशनल असेंबली के सत्र में विपक्ष का कोई भी सदस्य शामिल नहीं होगा, जिसमें प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) विश्वास मत हासिल करेंगे. खान द्वारा देश को संबोधित करने के बाद पीडीएम के प्रमुख ने यह यह घोषणा की है. पीडीएम दस पार्टियों का विपक्षी गठबंधन है.
पीडीएम के उम्मीदवार और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी (Yousaf Raza Gillani) ने बुधवार को सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के उम्मीदवार अब्दुल हाफिज शेख को करीबी मुकाबले में सीनेट चुनाव में हरा दिया था. खान के लिए यह बड़ा झटका था, जिन्होंने वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज शेख के लिए निजी तौर पर प्रचार किया था. रहमान ने कहा कि गिलानी की जीत ‘‘खान के खिलाफ अपने आप में अविश्वास प्रस्ताव है.'' उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने अधिसूचना जारी कर शनिवार को सत्र आहूत किया है और निश्चित तौर पर कहा है कि प्रधानमंत्री खान ‘‘बहुमत का विश्वास खो चुके हैं'' और इसलिए उन्हें विश्वास मत हासिल करने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल एसेंबली में विश्वास मत प्राप्त करने के पहले रणनीति तैयार करने की खातिर शुक्रवार को अपने सहयोगियों की बैठक बुलायी है. खान को नेशनल एसेंबली में 171 सांसदों का समर्थन चाहिए क्योंकि सदन में कुल 342 सदस्यों में अभी 340 सदस्य हैं और दो सीटें खाली हैं. खान की पीटीआई के पास 157 सांसद हैं जबकि विपक्षी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के 83 सदस्य हैं और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के 55 सांसद हैं. पीटीआई के नेताओं ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि खान बहुमत साबित कर देंगे. विज्ञान मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि खान आसानी से विश्वासमत हासिल कर लेंगे क्योंकि सीनेट के लिए पीटीआई की महिला उम्मीदवार फौजिया अरशद को बुधवार को 174 वोट मिले थे और वह जीत गई थीं. वहीं शेख को 164 वोट मिले और वह हार गए. उन्होंने कहा, ‘‘आवश्यक समर्थन मौजूद है और खान आसानी से जीत जाएंगे.''
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इस बीच पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री खान के आरोपों पर शुक्रवार को निराशा जताई और कहा कि सीनेट के चुनाव संविधान के मुताबिक हुए और वह कभी किसी दबाव में नहीं आया. प्रधानमंत्री खान द्वारा बृहस्पतिवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में बयान के बाद चुनाव आयोग ने अपने सदस्यों की एक बैठक बुलाई जिसमें यह कड़ी टिप्पणी की गई. बैठक मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान रजा ने बुलाई थी. खान ने आरोप लगाया, ‘‘आपने (ईसीपी ने) लोकतंत्र का मजाक बना दिया. आपने वोट की खरीद फरोख्त रोकने के लिए कुछ नहीं कर राष्ट्र की नैतिकता को नुकसान पहुंचाया.'' खान ने कहा, ‘‘आपने शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार होने दिया और यह सब आपकी आंखों के सामने हुआ और आप जानते थे कि यह होगा. मैं कहता रहा हूं कि बाजार खुल गए हैं और नीलामी हो रही है और जब सुप्रीम कोर्ट ने आपको मौका दिया, तो क्या वजह थी कि महज 1500 मत पत्रों पर बार कोड नहीं लगाया गया.'' खान के आरोपों को खारिज करते हुए आयोग ने कहा कि यह ‘‘कभी किसी तरह के दबाव में नहीं आया और अल्लाह ने चाहा तो भविष्य में भी नहीं आएंगे.'' आयोग ने बयान में कहा, ‘‘हम किसी को खुश करने के लिए संविधान और कानून की अनदेखी नहीं कर सकते हैं.''
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