- अमेरिका के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान और चीन सहित कुछ देशों पर परमाणु हथियारों का परीक्षण करने का आरोप लगाया है
 - पाकिस्तान ने 1998 में बलूचिस्तान के चगाई जिले और खारन रेगिस्तान में परमाणु परीक्षण किए थे
 - बलूचिस्तान क्षेत्र में पिछले दस वर्षों में औसतन हर साल 29 भूकंप आते हैं, जो भूकंपीय गतिविधि को दर्शाते हैं
 
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तीन दशक के अंतराल के बाद परमाणु हथियारों का परीक्षण फिर से शुरू करने की अमेरिका की योजना को सही ठहराते हुए कहा कि पाकिस्तान और चीन उन देशों में शामिल हैं जो परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं. उन्होंने छिपाकर न्यूक्लियर टेस्ट करने वाले देशों में रूस और नॉर्थ कोरिया का भी नाम लिया है. यह एक बड़ा आरोप है क्योंकि अबतक तो यही माना जाता रहा है कि नॉर्थ कोरिया को छोड़कर किसी भी देश ने इन तीन दशकों में अपने न्यूक्लियर हथियारों का ब्लास्ट करके टेस्ट नहीं किया है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि अगर ट्रंप का दावा सही है और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान सच में अपने न्यूक्लियर हथियारों को टेस्ट कर रहा है तो वो ऐसा कहां करता होगा. इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि न्यूक्लियर ब्लास्ट के लिए टेस्ट साइट कैसे चुना जाता है, उसे किस तरह से तैयार किया जाता है ताकि उसका कोई खराब प्रभाव देखने को ना मिले.
कैसे चुना जाता है न्यूक्लियर ब्लास्ट साइट?
न्यूक्लियर टेस्ट करने से पहले, एक सही टेस्ट साइट का पता लगाना और उसे तैयार करना आवश्यक है. जमीन में एक छेद किया जाता है जिसमें परमाणु उपकरण (न्यूक्लियर हथियार) रखा जाता है. ब्लास्ट के बाद रेडियोएक्टिव मैटेरियल को बाहर निकलने से रोकने के लिए इस छेद को बजरी, रेत और अन्य सामग्रियों से ढक दिया गया है. रेडिएशन मॉनिटर करने वाली मशीनें एक्टिव रहती हैं और न्यूक्लियर उपकरण की क्षमताओं को ट्रैक करने के लिए एक विमान परीक्षण स्थल (टेस्ट साइट) का चक्कर लगाते हैं, साथ ही मौसम और नतीजों के पैटर्न की समीक्षा की जाती है.
जब न्यूक्लियर उपकरण में विस्फोट किया जाता है, तो ऊर्जा लगभग तुरंत जारी होती है, जिससे उच्च तापमान और दबाव उत्पन्न होता है, जो परमाणु उपकरण और आसपास के भूमिगत चट्टान क्षेत्र को वाष्पित (इवापोरेट) कर देता है. जहां विस्फोट हुआ, वहां एक बड़ा गड्ढा बन जाता है और जैसे ही गर्म गैसें ठंडी होती हैं, गड्ढे के तल पर पिघली हुई चट्टानें जमा हो जाती हैं. टेस्ट के बाद, साइट पर सुरक्षा बनाई रखी जाती है - नमूने और डेटा बाद में लिए जाते हैं.
पाकिस्तान कहां करता है न्यूक्लियर टेस्ट?
पाकिस्तान ने 28 मई, 1998 को चगाई-I (एक साथ पांच टेस्ट) और 30 मई, 1998 को चगाई-II (एक टेस्ट) कोड नाम के साथ बलूचिस्तान में अपने न्यूक्लियर ब्लास्ट टेस्ट किए थे. ये टेस्ट क्रमशः बलूचिस्तान के चगाई जिले और खारन रेगिस्तान में रास कोह पहाड़ियों पर हुए थे. बलूचिस्तान के लोग खुद को इन न्यूक्लियर टेस्ट का पीड़ित मानते हैं और उनका कहना था कि बिना किसी वार्निंग के उनके क्षेत्र को न्यूक्लियर टेस्ट साइट बना दिया गया. Earthquake List की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 साल के आंकड़े को देखें तो बलूचिस्तान में हर साल औसतन 29 भूकंप आते हैं.
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