
- पाकिस्तान के दो प्रमुख राज्यों सिंध और पंजाब के बीच जल अधिकारों और बाढ़ मुआवजे को लेकर विवाद गहरा गया है
- सिंध में सत्ता वाली PPP और पंजाब की PML-N के बीच जुबानी जंग ने शहबाज सरकार को राजनीतिक संकट में डाल दिया है
- PPP ने पंजाब CM मरियम नवाज के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और संसदीय कार्यवाही से दूर रहने का फैसला किया
पाकिस्तान में अंदरूनी फूट खत्म होती नहीं दिख रही है. अभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोगों की बगावत की आग कम नहीं हुई कि पाकिस्तान के दो राज्य आमने-सामने आ गए हैं. खास बात है कि इन दोनों राज्यों में जो पार्टियां सत्ता में हैं, वो दोनों ही वहां की केंद्र सरकार यानी शहबाज शरीफ की सरकार में सत्तारूढ़ गठबंधन में हैं. दोनों पार्टियों के बीच कलह इस लेबल पर पहुंच गई है कि शहबाज सरकार पर संकट भी आ सकता है. ऐसे सरगर्म माहौल में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सोमवार, 6 अक्टबूर को पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी को तत्काल बैठक के लिए कराची बुलाया.
हम यहां पाकिस्तान के जिन दो राज्यों की बात कर रहे हैं- वो सिंध और पंजाब हैं. जहां सिंध में PPP की सरकार है वहीं पाकिस्तान वाले पंजाब में PML-N की सरकार है. ये दोनों ही पार्टी मिलकर केंद्र में शहबाज सरकार चलाने के लिए गठबंधन में है.
सिंध और पंजाब में क्यों मची कलह?
पाकिस्तान के अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में दोनों पार्टी, PPP और PML-N का नेतृत्व बाढ़ मुआवजे से लेकर चोलिस्तान नहर परियोजना के संदर्भ में जल अधिकार जैसे मुद्दों पर पिछले कई दिनों से जुबानी जंग में उलझा हुआ है. सिंध में सरकार चला रही PPP, विशेष रूप से पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज के बयानों से नाराज है, जिनकी पार्टी PML-N केंद्रीय सरकार का नेतृत्व भी कर रही है. मरियम नवाज प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ के भाई और पूर्व पीएम नवाज शरीफ की बेटी हैं.
रिपोर्ट के अनुसार दोनों पार्टियों के बीच जुबानी जंग शुरू में बाढ़ मुआवजे को लेकर शुरू हुई लेकिन बाद में सिंधु नदी पर पानी के अधिकार तक पहुंच गई. सीएम मरियम ने तो PPP पार्टी के नेतृत्व से यहां तक कहा कि वह अपनी सलाह अपने तक ही सीमित रखें. जवाब में, PPP सांसदों ने बयान के विरोध में पिछले सप्ताह संसदीय कार्यवाही से दूर रहने का फैसला किया. दो राज्यों और दो पार्टियों के बीच के इस कलह से खुद शहबाज सरकार पर संकट आ गया.
सिंध और पंजाब के बीच पानी का मुद्दा
इस आग की चिंगारी चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट से भड़की थी. सिंधु नदी, जिसे पाकिस्तान की लाइफलाइन कहते हैं, उसका पानी पंजाब के चोलिस्तान रेगिस्तान में ले जाने के लिए पाकिस्तान की केंद्र सरकार और सेना ने 176 किलोमीटर लंबी छह नहरें बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन सिंध के लोगों ने इसे अपने लिए खतरा माना. वजह थी कि सिंध की खेती, वहां के किसान, और लाखों लोगों की रोजी-रोटी इसी सिंधु नदी पर टिकी है. अगर ये पानी पंजाब की ओर डायवर्ट हुआ तो सिंध में सूखा पड़ सकता था, फसलें बर्बाद हो सकती थीं और पूरा इलाका रेगिस्तान बन सकता थी. सिंध के लोगों ने सड़कों पर उतरकर इसी प्रोजेक्ट का विरोध किया. बाद में इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया.
शहबाज सरकार पर संकट
इस कलह ने शहबाज सरकार पर भी संकट ला दिया है. प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने शनिवार को अपने बड़े भाई और PML-N प्रमुख नवाज शरीफ से मुलाकात की और उनसे दोनों पार्टियों के बीच 'बढ़ते तनाव' पर चर्चा की, और उनसे गुस्से को शांत करने में अपनी भूमिका निभाने का अनुरोध किया.
जैसे हमने आपको शुरू में बताया कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी (जो खुद PPP पार्टी के अध्यक्ष हैं) ने सोमवार को गृह मंत्री मोहसिन नकवी को एक अर्जेंट बैठक के लिए कराची बुलाया. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति की ओर से एक्स पर एक पोस्ट में आज कहा गया कि जरदारी और नकवी ने सिंध और पंजाब सरकारों के बीच चल रहे विवाद से संबंधित टेलीफोन पर बातचीत की. पोस्ट में कहा गया, "राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सिंध और पंजाब सरकारों के बीच हालिया तनाव पर चर्चा के लिए इंटिरियर मिनिस्टर (गृह मंत्री) मोहसिन नकवी से फोन पर बात की. राष्ट्रपति ने इस संबंध में तत्काल बैठक के लिए गृह मंत्री को कराची बुलाया है."
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