इस्लामाबाद:
गूगल की वीडियो शेयर करने वाली दुनिया की मशहूर वेबसाइट यूट्यूब पर पाकिस्तान में तीन साल से लगा प्रतिबंध आखिरकार हटा लिया गया है। पाकिस्तान में यूट्यूब पर यह प्रतिबंध इस्लाम का कथित अपमान करने वाला वीडियो पोस्ट होने के बाद लगाया गया था।
पाकिस्तान के टेलिकॉम नियामक का कहना है कि यूट्यूब सेवा पेश करने वाली इंटरनेट कंपनी गूगल ने पाकिस्तान के लिए इसका विशेष वर्जन लॉन्च किया है, इसलिए अब यूट्यूब पर प्रतिबंध की कोई जरूरत नहीं है। माना जा रहा है कि यूट्यूब के इस संस्करण में पोस्ट किए जाने वाले वीडियो कन्टेंट को पाकिस्तान की सरकारी संस्थाएं फिल्टर कर पाएंगी।
यू-ट्यूब पर रोक हटाने की मांग पुरानी
पाकिस्तान के एक प्रमुख दैनिक ने गुरुवार को यूट्यूब पर लगी पाबंदी को हटाने की मांग की थी और इसे एक हास्यास्पद प्रतिबंध करार देते हुए इस पर आश्चर्य भी जताया था। समाचार पत्र 'डान' ने अपने संपादकीय लेख 'यू ट्यूब : प्वाइंटलेस बैन' में कहा कि पाकिस्तान में यूट्यूब पर प्रतिबंध लगे तीन साल बीत गए। सितंबर 2012 में एक फिल्म की एक क्लिप यूट्यूब पर आने के बाद सरकार ने इसे ईशनिंदक बताकर रोक लगा दी थी।
लेख के मुताबिक, 'तब से लेकर अब तक मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। सरकार के विभिन्न महकमों ने मुद्दे के समाधान का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हाईकोर्ट में भी मामला गया, लेकिन सब निष्फल रहा।'
नेशनल एसेंबली ने पाबंदी हटाने के लिए बीते साल छह मई को एकमत से एक प्रस्ताव पारित किया और मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी पर सीनेट स्टैंडिंग कमेटी ने भी यूट्यूब पर से पाबंदी हटाने का निर्देश दिया।
संपादकीय के मुताबिक, 'क्या यह सब पाबंदी हटाने के लिए पर्याप्त होगा? लोग इस बात पर आश्चर्य जता रहे हैं कि यह मामला आखिर कहां तक जाएगा या सरकार द्वारा लगाए गए इस हास्यास्पद प्रतिबंध को हटाने के लिए किस स्तर पर आम सहमति तक पहुंचा जा सकती है।'
लेख में कहा गया, 'ऑनलाइन सामग्री पर पूरी तरह नियंत्रण करना बिल्कुल असंभव होगा और ऐसा करने का प्रयास निर्थक है। इसका एक बेहतर रास्ता उपयोगकर्ताओं को इस बात से शिक्षित करना होगा कि वे सुरक्षित सर्फिंग कैसे करें।'
संपादकीय के मुताबिक, 'सीनेट स्टैंडिंग कमेटी के निर्देश के मद्देनजर, यूट्यूब पर लगी पाबंदी को हटाने की संभावना बढ़ गई है।' पिछले गुरुवार को अखबार ने संपादकीय लिखा और आखिरकार यूट्यूब पर से प्रतिबंध हट ही गया।
-- साथ में एजेंसी इनपुट
पाकिस्तान के टेलिकॉम नियामक का कहना है कि यूट्यूब सेवा पेश करने वाली इंटरनेट कंपनी गूगल ने पाकिस्तान के लिए इसका विशेष वर्जन लॉन्च किया है, इसलिए अब यूट्यूब पर प्रतिबंध की कोई जरूरत नहीं है। माना जा रहा है कि यूट्यूब के इस संस्करण में पोस्ट किए जाने वाले वीडियो कन्टेंट को पाकिस्तान की सरकारी संस्थाएं फिल्टर कर पाएंगी।
यू-ट्यूब पर रोक हटाने की मांग पुरानी
पाकिस्तान के एक प्रमुख दैनिक ने गुरुवार को यूट्यूब पर लगी पाबंदी को हटाने की मांग की थी और इसे एक हास्यास्पद प्रतिबंध करार देते हुए इस पर आश्चर्य भी जताया था। समाचार पत्र 'डान' ने अपने संपादकीय लेख 'यू ट्यूब : प्वाइंटलेस बैन' में कहा कि पाकिस्तान में यूट्यूब पर प्रतिबंध लगे तीन साल बीत गए। सितंबर 2012 में एक फिल्म की एक क्लिप यूट्यूब पर आने के बाद सरकार ने इसे ईशनिंदक बताकर रोक लगा दी थी।
लेख के मुताबिक, 'तब से लेकर अब तक मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। सरकार के विभिन्न महकमों ने मुद्दे के समाधान का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हाईकोर्ट में भी मामला गया, लेकिन सब निष्फल रहा।'
नेशनल एसेंबली ने पाबंदी हटाने के लिए बीते साल छह मई को एकमत से एक प्रस्ताव पारित किया और मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी पर सीनेट स्टैंडिंग कमेटी ने भी यूट्यूब पर से पाबंदी हटाने का निर्देश दिया।
संपादकीय के मुताबिक, 'क्या यह सब पाबंदी हटाने के लिए पर्याप्त होगा? लोग इस बात पर आश्चर्य जता रहे हैं कि यह मामला आखिर कहां तक जाएगा या सरकार द्वारा लगाए गए इस हास्यास्पद प्रतिबंध को हटाने के लिए किस स्तर पर आम सहमति तक पहुंचा जा सकती है।'
लेख में कहा गया, 'ऑनलाइन सामग्री पर पूरी तरह नियंत्रण करना बिल्कुल असंभव होगा और ऐसा करने का प्रयास निर्थक है। इसका एक बेहतर रास्ता उपयोगकर्ताओं को इस बात से शिक्षित करना होगा कि वे सुरक्षित सर्फिंग कैसे करें।'
संपादकीय के मुताबिक, 'सीनेट स्टैंडिंग कमेटी के निर्देश के मद्देनजर, यूट्यूब पर लगी पाबंदी को हटाने की संभावना बढ़ गई है।' पिछले गुरुवार को अखबार ने संपादकीय लिखा और आखिरकार यूट्यूब पर से प्रतिबंध हट ही गया।
-- साथ में एजेंसी इनपुट