पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा. फिलहाल उसे ब्लैक लिस्ट में नहीं डाला गया है. लेकिन FATF, जो देशों के आतंकी फंडिंग रोकने पर नजर रखता है, ने पाक को खरी-खरी तो सुनाई ही है, तीखी चेतावनी भी दी है.
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने कहा है कि लश्कर, जैश और जमात उद दावा जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग पर सही तरीके से लगाम लगाने में पाकिस्तान नाकामयाब रहा है. पाकिस्तान को इन रणनीतिक कमियों से पार पाने के लिए काम करना चाहिए. पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों- दाएश, अल कायदा, जमात-उद-दावा और उसी का अंग फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों से बने खतरे का सही आकलन नहीं दिखाता. FATF ने कहा है कि आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए जिस एक्शन प्लान की डेडलाइन जनवरी 2019 थी उस पर भी पाकिस्तान ने थोड़ी ही प्रगति दिखाई है. अब वो मई 2019 के लक्ष्य जल्द से जल्द पूरे करे.
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पाकिस्तान के पास अब FATF के दिए लक्ष्य पूरा करने के लिए अक्टूबर 2019 तक का वक्त है. ईरान और दक्षिण कोरिया पहले ही ब्लैकलिस्ट में हैं. ब्लैकलिस्ट में डाले गए देशों को 'हाई रिस्क' माना जाता है जहां जनता की बेहतरी के लिए दिया गया अंतरराष्ट्रीय फंड, आतंकी संगठनों तक पहुंचने का बड़ा खतरा होता है.
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हवाला कारोबार पर लगाम लगाने के लिए 1989 में बना FATF एक अंतरदेशीय संगठन है. 2001 में इसके अधिकार को बढ़ाकर आतंक के लिए पैसे पर रोक लगाना भी कर दिया गया.
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