आतंकवाद के मुद्दे पर चारो ओर से घिरे पाकिस्तान के सामने एक और संकट गहरा रहा है. एशिया पैसिक ग्रुप (APG) के फाइनेंशियल टास्क फोर्स में उसके ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडराने लगा है. इसी महीने FATF की सालाना बैठक होने वाली है और जो रिपोर्ट आई है उसमें साफ लिखा है कि सिर्फ एक पैरामीटर पर पाकिस्तान (Pakistan) खरा उतरा है. चार पर बिल्कुल नहीं और बाक़ी पर आंशिक तौर पर उसने काम किया है. गौरतलब है कि ग्रे लिस्ट में चल रहे पाकिस्तान को आतंकी फ़ंडिंग पर लगाम लगानी है और इसके लिए 18 महीने का नेगोसिएशन पीरियड है. एशिया पैसिक ग्रुप की सीधी हितायत है कि पाकिस्तान मनी लाउंडरिंग और टेरर फाइनेसिंग को रोकने ते लिए कठोर क़दम उठाए.
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बता दें कि FATF जोकि देशों के आतंकी फंडिंग रोकने पर नजर रखता है, ने फरवरी 2019 में पाक को खरी-खरी सुनाते हुए तीखी चेतावनी भी दी थी. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने कहा था कि लश्कर, जैश और जमात उद दावा जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग पर सही तरीके से लगाम लगाने में पाकिस्तान नाकामयाब रहा है. पाकिस्तान को इन रणनीतिक कमियों से पार पाने के लिए काम करना चाहिए. पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों- दाएश, अल कायदा, जमात-उद-दावा और उसी का अंग फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों से बने खतरे का सही आकलन नहीं दिखाता.
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FATF ने कहा था कि आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए जिस एक्शन प्लान की डेडलाइन जनवरी 2019 थी उस पर भी पाकिस्तान ने थोड़ी ही प्रगति दिखाई है. एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए उसे मई 2019 तक टारगेट पूरे करने के निर्देश दिए थे. गौरतलब है कि ब्लैकलिस्ट में डाले गए देशों को 'हाई रिस्क' माना जाता है जहां जनता की बेहतरी के लिए दिया गया अंतरराष्ट्रीय फंड, आतंकी संगठनों तक पहुंचने का बड़ा खतरा होता है. अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में जाता है तो उसे मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय मदद में रोक लग जाएगी. हवाला कारोबार पर लगाम लगाने के लिए 1989 में बना एफएटीएफ एक अंतरदेशीय संगठन है. 2001 में इसके अधिकार को बढ़ाकर आतंक के लिए पैसे पर रोक लगाना भी कर दिया गया था.
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