पाकिस्तान द्वारा सजा-ए-मौत पर से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद प्रशासन ने सेना मुख्यालय और पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ पर हमले के मामले में दोषी ठहराए गए दो लोगों को आज रात फांसी पर लटका दिया।
मंगलवार को पेशावर में आतंकवादियों द्वारा स्कूल में किए गए जनसंहार के बाद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मौत की सजा पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का ऐलान किया था। ये दोनों उन 17 आतंकवादियों में शामिल हैं, जिन्हें प्रतिबंध हटाए जाने के बाद पहले चरण में फांसी की सजा दी जानी है।
रावलपिंडी में आर्मी जनरल हेडक्वाटर्स (जीएचक्यू) में वर्ष 2009 में हमले के दौरान घायल लेकिन जिंदा पकड़े गए अकील उर्फ डा. उस्मान को मौत की सजा सुनायी गई थी, जबकि अरशद महमूद उर्फ मेहरबान को पूर्व राष्ट्रपति तथा सेना प्रमुख मुशर्रफ पर जानलेवा हमले के प्रयास के मामले में दोषी ठहराया गया था।
जियो और दुनिया टीवी समेत प्रमुख निजी चैनलों ने रिपोर्टों में बताया है कि अकील और मेहमूद को स्थानीय समयानुसार रात नौ बजे फैसलाबाद जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
दोनों आतंकवादियों का मेडिकल चेकअप किया गया और फांसी पर चढ़ाए जाने से पूर्व उन्हें उनकी आखिरी इच्छा दर्ज कराने की अनुमति दी गई।
फांसी की इस सजा पर टिप्पणी के लिए कोई अधिकारी तत्काल उपलब्ध नहीं हुआ।
इससे पूर्व, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अकील के परिजनों ने फैसलाबाद जेल में उससे आखिरी बार मुलाकात की जहां उसे फांसी पर चढ़ाए जाने की तैयारियां हो रही थीं। उसे फांसी पर चढ़ाए जाने में कोई कानूनी अड़चन नहीं थी।
सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ ने सशस्त्र बलों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे छह लोगों की मौत की सजा के वारंट पर दस्तखत किए थे।
मेहमूद उन पांच लोगों में शामिल था, जिन्हें 2003 में मुशर्रफ पर हमले के लिए मौत की सजा दी गई थी। मुशर्रफ इस हमले में बच गए थे, लेकिन 15 अन्य लोग मारे गए थे।
आने वाले दिनों में कई अन्य आतंकवादियों को फांसी पर लटकाया जाएगा, जिनमें कोट लखपत जेल में बंद वे चार आतंकवादी भी शामिल हैं, जिन्हें कल फांसी दिए जाने की संभावना है।
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