हर साल लाखों लोग हज के दौरान सऊदी अरब के मक्का शहर में जमा होते हैं। (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के पूर्व मंत्री हामिद सईद काजमी को हज भ्रष्टाचार मामले में शुक्रवार को 16 साल कैद की सजा सुनाई गई। डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक निचली अदालत, केंद्रीय विशेष अदालत के न्यायाधीश मलिक नजीर अहमद ने हज महानिदेशक (डीजी) राव शकील को 40 साल जेल तथा धार्मिक मामलों के संयुक्त सचिव आफताब असलम को 16 साल जेल की सजा सुनाई।
पिछले सप्ताह अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए 60 गवाहों से जिरह के बाद फैसले की घोषणा की गई। सजा पाए दोषी इस्लामाबाद हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि साल 2010-12 के बीच हुए हज भ्रष्टाचार मामले से राजनीतिक माहौल गर्मा गया था, जिसके परिणामस्वरूप हामिद सईद काजमी तथा आजम स्वाति को संघीय मंत्रिमंडल से बाहर होना पड़ा था।
धार्मिक मामलों के पूर्व मंत्री पर दो साल पहले हज भ्रष्टाचार मामले में शामिल होने का आरोप लगा था, जिसके कारण देश के खजाने को बड़ा नुकसान हुआ। इसके बाद एक मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद 15 मार्च, 2011 को उनकी गिरफ्तारी हुई। काजमी को 30 मई, 2012 को भ्रष्टाचार के मामले में आरोपित किया गया, लेकिन उन्होंने आरोपों से इंकार किया। उन पर मक्का में जायरीनों के रहने के लिए एक घटिया स्तर का मकान किराये पर लेने तथा इस प्रक्रिया में रिश्वत लेने का आरोप है। किराये के रूप में ज्यादा रकम लेने से पाकिस्तान के कुल 35 हजार जायरीन प्रभावित हुए थे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पिछले सप्ताह अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए 60 गवाहों से जिरह के बाद फैसले की घोषणा की गई। सजा पाए दोषी इस्लामाबाद हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि साल 2010-12 के बीच हुए हज भ्रष्टाचार मामले से राजनीतिक माहौल गर्मा गया था, जिसके परिणामस्वरूप हामिद सईद काजमी तथा आजम स्वाति को संघीय मंत्रिमंडल से बाहर होना पड़ा था।
धार्मिक मामलों के पूर्व मंत्री पर दो साल पहले हज भ्रष्टाचार मामले में शामिल होने का आरोप लगा था, जिसके कारण देश के खजाने को बड़ा नुकसान हुआ। इसके बाद एक मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद 15 मार्च, 2011 को उनकी गिरफ्तारी हुई। काजमी को 30 मई, 2012 को भ्रष्टाचार के मामले में आरोपित किया गया, लेकिन उन्होंने आरोपों से इंकार किया। उन पर मक्का में जायरीनों के रहने के लिए एक घटिया स्तर का मकान किराये पर लेने तथा इस प्रक्रिया में रिश्वत लेने का आरोप है। किराये के रूप में ज्यादा रकम लेने से पाकिस्तान के कुल 35 हजार जायरीन प्रभावित हुए थे।
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