पाकिस्तान के आम चुनाव में खंडित जनादेश सामने आने के बाद राजनीतिक दलों ने रविवार को गठबंधन सरकार के गठन के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए. पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को मतदान हुआ था. पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने रविवार को आम चुनाव के अंतिम परिणाम घोषित किए, जिसमें जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीट पर जीत दर्ज की है. वहीं, तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) 75 सीट जीतकर तकनीकी रूप से संसद में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
बिलावल जरदारी भुट्टो की पार्टी को मिले हैं 54 सीट
बिलावल जरदारी भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को 54 सीट मिलीं, जबकि विभाजन के दौरान भारत से आए उर्दू भाषी लोगों की मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) को 17 सीट मिली हैं. बाकी 12 सीट पर अन्य छोटे दलों ने जीत हासिल की. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 266 सीट पर प्रत्यक्ष मतदान से प्रतिनिधियों का चुनाव होता है. इनमें से 265 सीट पर चुनाव कराया गया था.
101 सीटों पर इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को मिली है जीत
पंजाब प्रांत के खुशाब में एनए-88 सीट का परिणाम ईसीपी ने धोखाधड़ी की शिकायतों के कारण रोक दिया था और पीड़ितों की शिकायतों के निवारण के बाद इसकी घोषणा की जाएगी. एक उम्मीदवार की मृत्यु के बाद एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था. निर्दलीय उम्मीदवारों ने नेशनल असेंबली में 101 सीट हासिल कीं हैं. इनमें से ज्यादातर खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) द्वारा समर्थित थे.
बहुमत के लिए जरूरी है 169 सीट
सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को प्रत्यक्ष मतदान से निर्वाचित 133 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी. कुल मिलाकर, साधारण बहुमत हासिल करने के लिए 336 में से 169 सीट की आवश्यकता है, जिसमें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित सीट भी शामिल हैं.
शहबाज शरीफ कर रहे हैं गठबंधन के लिए बातचीत
पीएमएल-एन प्रमुख शरीफ ने अपने छोटे भाई एवं पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को दलों से बातचीत करने का जिम्मा सौंपा है, जिन्होंने पीपीपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है. एमक्यूएम-पी का एक प्रतिनिधिमंडल लाहौर में है और उसने शहबाज के साथ बैठक की. एमक्यूएम प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डॉ. खालिद मकबूल सिद्दीकी कर रहे हैं. बैठक में शहबाज शरीफ, मरियम नवाज और पार्टी के अन्य नेता भी भाग ले रहे हैं.
एमक्यूएम-पी नेता हैदर रिजवी ने क्या कहा?
इससे पहले, एमक्यूएम-पी नेता हैदर रिजवी ने एक साक्षात्कार में ‘जियो न्यूज' को बताया है कि उनकी पार्टी पीएमएल-एन के साथ अधिक सहज होगी क्योंकि पीपीपी या अन्य पार्टियों के विपरीत ‘‘दोनों पार्टियों ने कराची में प्रतिस्पर्धा नहीं की है.'' पीएमएल-एन के अध्यक्ष शहबाज ने पीपीपी के वरिष्ठ नेता आसिफ अली जरदारी से शनिवार को और बिलावल भुट्टो जरदारी से शुक्रवार रात मुलाकात की और भविष्य के गठबंधन पर चर्चा की. सूत्रों के मुताबिक, शहबाज ने पार्टी नेताओं से कहा कि पूर्व राष्ट्रपति और पीपीपी नेता जरदारी ने सरकार बनाने के लिए पीएमएल-एन को समर्थन देने के बदले पीपीपी अध्यक्ष बिलावल के लिए प्रधानमंत्री पद और प्रमुख मंत्री पदों की मांग की है.
पीएमएल-एन शहबाज शरीफ को बनाएगी प्रधानमंत्री
पार्टी सूत्रों ने कहा कि अब तक जरदारी के साथ गठबंधन बनाना पहला विकल्प था, जिसे पीएमएल-एन तलाश रही थी लेकिन वह प्रधानमंत्री का पद छोड़ना नहीं चाहती है. सूत्रों ने दावा किया कि पार्टी की बैठक में निर्णय लिया गया है कि यदि पीपीपी के साथ बातचीत विफल रही, तो पीएमएल-एन, एमक्यूएम, जेयूआई-एफ और निर्दलीय सहित अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन सरकार बनाने का रास्ता तलाशेगी. सूत्रों ने दावा किया कि इस स्थिति में, पीएमएल-एन शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री और मरियम शरीफ को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाएगी.
शहबाज शरीफ को माना जाता है सेना का करीबी
सूत्रों ने कहा, ‘‘शहबाज शरीफ सेना के अधिक करीबी होने के कारण प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए पसंदीदा हैं. इसके अलावा पीएमएल-एन के पास पीपीपी की तुलना में संसद में अधिक सीटें हैं.'' इस बीच, 35 वर्षीय पूर्व विदेश मंत्री बिलावल ने कहा कि उनकी पार्टी के समर्थन के बिना कोई भी केंद्र, पंजाब या बलूचिस्तान में सरकार नहीं बना सकता है और पीपीपी के दरवाजे बातचीत के लिए हर राजनीतिक दल के लिए खुले हैं. इस बीच, ‘पीटीआई' नेता गौहर खान ने भी दावा किया कि उनकी पार्टी सरकार बनाएगी. हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह संभव नहीं है.
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने ‘पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ लेजिस्लेटिव डेवलपमेंट एंड ट्रांसपेरेंसी' (पीआईएलडीएटी) के प्रमुख अहमद बिलाल महबूब के हवाले से अपनी खबर में कहा कि ‘पीटीआई' जाहिर तौर पर पीएमएल-एन या अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन किए बिना सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है जबकि पीपीपी के पास संसद के निचले सदन में बहुमत का दावा करने के लिए आवश्यक संख्या बल नहीं है.
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