पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने बुधवार को मुम्बई आतंकवादी हमले के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद के खिलाफ ‘‘टेरर फंडिंग'' का आरोप तय किया है. आतंकवाद विरोधी अदालत के न्यायाधीश मलिक अरशद भुट्टा ने सईद और उसके साथियों पर पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में ‘‘टेरर फंडिंग'' का आरोप तय किया. इससे पहले शनिवार को अदालत हाफिज सईद के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण को लेकर आरोप तय नहीं कर सकी थी क्योंकि अधिकारी आश्चर्यजनक रूप से शनिवार को इस हाई प्रोफाइल सुनवाई में एक सह-आरोपी को पेश करने में नाकाम रहे थे.
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पंजाब पुलिस के आतंकवाद निरोधक विभाग (CTD) ने सईद और उसके सहयोगियों के खिलाफ ‘‘टेरर फंडिंग'' के आरोपों में पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में 23 प्राथमिकी दर्ज की थीं और जमात -उद-दावा प्रमुख को 17 जुलाई को गिरफ्तार किया था. वो फिलहाल लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है. हाफिज सईद के ऊपर लाहौर, गुजरांवाला और मुल्तान में अल-अंफाल ट्रस्ट, दावातुल इरशाद ट्रस्ट और मुआज बिन जबाल ट्रस्ट सहित ट्रस्ट या गैर-लाभ संगठनों (एनपीओ) के नाम पर बनाई गई संपत्तियों के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए धन एकत्रित करने के लिए मामले दर्ज किए गए हैं.
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ऐसा माना जा रहा है अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में पाकिस्तानी पदाधिकारियों ने लश्कर-ए-तैयबा, जमात उद दावा और उसके द्वारा संचालित इकाई फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन (FIF) द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए उनकी संपत्तियों और ट्रस्टों के इस्तेमाल के मामलों की जांच कर रही है. सईद के जमात-उद-दावा को लश्कर का प्रमुख संगठन माना जाता है, जिसने 2008 में मुम्बई में आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया था. मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे.
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