इस्लामाबाद:
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता वाली पीठ और अटॉर्नी जनरल तथा वकीलों के बीच तीखी बहस हुई और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सुरक्षा बलों को बुलाना पड़ा।
चौधरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने जैसे ही प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को न्यायालय की अवमानना का दोषी मानने के बावजूद नेशनल एसेंबली की अध्यक्ष द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवायी शुरू की, तीखी बहस शुरू हो गई।
सुनवायी के दौरान अटॉर्नी जनरल इरफान कादिर ने तीन न्यायधीशों वाली पीठ में अविश्वास जताया और कहा कि प्रधान न्यायाधीश को मामले की सुनवायी नहीं करनी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने जब एक याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि उसे अपना पक्ष रखने के लिए कितना समय चाहिए, तो कादिर ने सवाल किया कि वह मामले की सुनवायी के लिए इतनी जल्दी में क्यों हैं।
अटॉर्नी जनरल ने प्रधान न्यायाधीश की बात को कई बार काटने का प्रयास किया। इसके बाद पीठ ने उनसे अभद्र व्यवहार नहीं करने को कहा। तीखी बहस सुनकर वकीलों का एक समूह न्यायालय में भीतर आ गया और उन्होंने अटॉर्नी जनरल की आलोचना करनी शुरू कर दी।
कादिर और वकीलों में तीखी बहस हुई। कादिर ने बार-बार कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ मामले की सुनवायी कर रहे न्यायाधीश गिलानी को सजा सुनाने के बाद अदालत से ‘‘भाग गए’’ थे। अटॉर्नी जनरल ने लगातार ‘अश्लील भंगिमाएं’ बनायी जिससे कुछ वकील क्रोधित हो गए। बाद में स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सुरक्षा बलों को बुलाना पड़ा।
प्रधान न्यायाधीश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायालय में बोलने का सभी को अधिकार है लेकिन न्यायालय की गरिमा को बनाए रखना चाहिए। प्रधानमंत्री के वकील एतजाज अहसन ने अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा जिसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवायी कल तक के लिए स्थगित कर दी।
सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री गिलानी को न्यायालय की अवमानना का दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया की शुरूआत करने से मना करने के नेशनल एसेंबली की अध्यक्ष फहमिदा मिर्जा के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवायी कर रहा था।
इसी वर्ष अप्रैल में न्यायालय के आदेश पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ स्विटजरलैंड में भ्रष्टाचार का मामला शुरू करवाने से इंकार करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी को न्यायालय की अवमानना को दोषी मानते हुए एक मिनट की सांकेतिक सजा सुनायी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर प्रतिक्रिया मांगते हुए प्रधानमंत्री गिलानी, अटॉर्नी जनरल, अध्यक्ष, चुनाव आयोग और सरकार को नोटिस जारी किया था। यह याचिकाएं पीएमएल-एन, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और वकील अजहर चौधरी समेत अन्य लोगों ने दायर की हैं।
दूसरी ओर नेशनल एसेंबली और देश के निचले सदन ने आज प्रधानमंत्री को अयोग्य नहीं घोषित करने के अध्यक्ष के फैसले के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव को पटल पर सत्तारूढ़ दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता और कानून मंत्री फारूख नाइक ने रखा।
चौधरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने जैसे ही प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को न्यायालय की अवमानना का दोषी मानने के बावजूद नेशनल एसेंबली की अध्यक्ष द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवायी शुरू की, तीखी बहस शुरू हो गई।
सुनवायी के दौरान अटॉर्नी जनरल इरफान कादिर ने तीन न्यायधीशों वाली पीठ में अविश्वास जताया और कहा कि प्रधान न्यायाधीश को मामले की सुनवायी नहीं करनी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने जब एक याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि उसे अपना पक्ष रखने के लिए कितना समय चाहिए, तो कादिर ने सवाल किया कि वह मामले की सुनवायी के लिए इतनी जल्दी में क्यों हैं।
अटॉर्नी जनरल ने प्रधान न्यायाधीश की बात को कई बार काटने का प्रयास किया। इसके बाद पीठ ने उनसे अभद्र व्यवहार नहीं करने को कहा। तीखी बहस सुनकर वकीलों का एक समूह न्यायालय में भीतर आ गया और उन्होंने अटॉर्नी जनरल की आलोचना करनी शुरू कर दी।
कादिर और वकीलों में तीखी बहस हुई। कादिर ने बार-बार कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ मामले की सुनवायी कर रहे न्यायाधीश गिलानी को सजा सुनाने के बाद अदालत से ‘‘भाग गए’’ थे। अटॉर्नी जनरल ने लगातार ‘अश्लील भंगिमाएं’ बनायी जिससे कुछ वकील क्रोधित हो गए। बाद में स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सुरक्षा बलों को बुलाना पड़ा।
प्रधान न्यायाधीश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न्यायालय में बोलने का सभी को अधिकार है लेकिन न्यायालय की गरिमा को बनाए रखना चाहिए। प्रधानमंत्री के वकील एतजाज अहसन ने अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा जिसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवायी कल तक के लिए स्थगित कर दी।
सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री गिलानी को न्यायालय की अवमानना का दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया की शुरूआत करने से मना करने के नेशनल एसेंबली की अध्यक्ष फहमिदा मिर्जा के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवायी कर रहा था।
इसी वर्ष अप्रैल में न्यायालय के आदेश पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ स्विटजरलैंड में भ्रष्टाचार का मामला शुरू करवाने से इंकार करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी को न्यायालय की अवमानना को दोषी मानते हुए एक मिनट की सांकेतिक सजा सुनायी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर प्रतिक्रिया मांगते हुए प्रधानमंत्री गिलानी, अटॉर्नी जनरल, अध्यक्ष, चुनाव आयोग और सरकार को नोटिस जारी किया था। यह याचिकाएं पीएमएल-एन, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और वकील अजहर चौधरी समेत अन्य लोगों ने दायर की हैं।
दूसरी ओर नेशनल एसेंबली और देश के निचले सदन ने आज प्रधानमंत्री को अयोग्य नहीं घोषित करने के अध्यक्ष के फैसले के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव को पटल पर सत्तारूढ़ दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता और कानून मंत्री फारूख नाइक ने रखा।
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