विज्ञापन

गुरिल्ला वॉर, एम्बुश और पहाड़ी रणनीति, अफगान लड़ाके पाक सेना पर भारी

अफगान मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान ने बॉर्डर पार कर हमला किया, जिसमें 15 अफगान सैनिक मारे गए और 10 लोग घायल हुए. ये हमले उस वक्त हुए जब तुर्किए में पाक-अफगान शांति वार्ता चल रही थी.

गुरिल्ला वॉर, एम्बुश और पहाड़ी रणनीति, अफगान लड़ाके पाक सेना पर भारी
  • अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच कुर्रम और वजीरिस्तान में भीषण गोलीबारी
  • अफगान सेना ने पाक के 5 सैनिकों की मौत की पुष्टि की, जबकि पाक ने 25 अफगानी लड़ाकों के मारे जाने का दावा किया
  • पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से टीटीपी समूहों पर कार्रवाई के लिए लिखित आश्वासन मांगा था
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पिछले दिनों जमकर गोलीबारी हुई. बात करते हैं अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की इसी भयंकर लड़ाई की. क्या अब शहबाज शरीफ और जनरल मुनीर ने तय कर लिया है कि उन्हें शांति नहीं, बल्कि जंग चाहिए? जब काबुल से 4700 किलोमीटर दूर इस्तांबुल में शांति वार्ता चल रही थी, उसी वक्त अफगान-पाकिस्तान बॉर्डर पर जोरदार भिड़ंत हो रही थी. कुर्रम और वजीरिस्तान में पाक-अफगान सेनाओं के बीच गोलियां चलने लगीं. कई घंटों तक दोनों तरफ की पोस्टों पर भीषण गोलीबारी होती रही.

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के क्या दावे

अफगानिस्तान की ओर से हुए हमलों में पाकिस्तान के 5 सैनिक मारे गए, जबकि पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने 25 अफगानी लड़ाकों को मार गिराया है. पाक सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा कि अफगानिस्तान की ओर से घुसपैठ की कोशिश की जा रही थी. मुनीर की फौज ने दावा किया कि ये घुसपैठिए TTP जैसे आतंकी गुटों से जुड़े थे. हालांकि तालिबान के प्रवक्ता ने इसे पाकिस्तान का अंदरूनी मामला बताया और कहा कि ये झड़पें पाकिस्तान की आंतरिक समस्या हैं, अफगानिस्तान शांति चाहता है.

शांति वार्ता के बीच अफगानिस्तान पर हमला

अफगान मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान ने बॉर्डर पार कर हमला किया, जिसमें 15 अफगान सैनिक मारे गए और 10 लोग घायल हुए. ये हमले उस वक्त हुए जब तुर्किए में पाक-अफगान शांति वार्ता चल रही थी. लेकिन बातचीत में कोई ठोस समझौता नहीं हो सका क्योंकि पाकिस्तान ने TTP पर कार्रवाई के लिए लिखित आश्वासन मांगा था. पाकिस्तान ने खुफिया जानकारी साझा करने और TTP के ठिकानों पर एक्शन लेने की मांग की, जिसे अफगानिस्तान ने संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए ठुकरा दिया.

मुनीर के अहंकार से अफगान लड़ाकों हुए और खूंखार

शांति नहीं बनने पर पाकिस्तान ने खुली जंग की धमकी दी थी. पाक रक्षा मंत्री ने साफ कहा था कि शांति तालिबान के रुख पर निर्भर करेगी. अब बात शांति की नहीं, बल्कि कत्लेआम की हो रही है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सुलह के रास्ते बंद हो गए हैं. अब तो बॉर्डर पर बंदूकें बोल रही हैं और लाशें बिछ रही हैं. मुनीर के अहंकार ने अफगान लड़ाकों को और भी खूंखार बना दिया है. पाकिस्तान हजारों गोलियां चला रहा है, तो तालिबानी लड़ाके दस हजार बुलेट फायर कर रहे हैं. मतलब साफ है कि काबुल और इस्लामाबाद में शांति का इस्तांबुल फॉर्मूला फेल हो गया है, और अब सरहद पर खून की नदियां बहना तय है.

अफगानिस्तान: जहां हर विदेशी सेना नाकाम रही

अफगानिस्तान में कई सालों से संघर्ष के हालात बने हुए हैं, लेकिन कोई भी विदेशी सेना इसमें कामयाब नहीं हो सकी. सोवियत संघ यानी रूस ने 1979 से 1989 तक दस साल युद्ध लड़ा, लेकिन अंत में उसे पीछे हटना पड़ा. इसी तरह अमेरिका ने 2001 से 2021 तक युद्ध लड़ा. नाटो के कई देश इसमें शामिल थे, मगर वे भी नाकाम रहे. रूस और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश अफगानिस्तान में नाकाम रहे, तो पाकिस्तान उनसे कहीं ज्यादा कमजोर है, क्योंकि अफगानिस्तान में अफगानियों को हराना एक बड़ी चुनौती है.

अफगान लड़ाकों की तीन रणनीतिक ताकतें

1. गुरिल्ला वॉर

गुरिल्ला युद्ध का मतलब है छोटे-छोटे हमलों की रणनीति. इसमें बड़ी सेना के खिलाफ छोटी टुकड़ियां लड़ती हैं. ये सीधे टकराने की बजाय छिपकर वार करती हैं. बिना भारी हथियारों के भी दुश्मनों को हराया जाता है. इसका मकसद दुश्मन को थकाना और कमजोर बनाना होता है. पाक सेना बार-बार गुरिल्ला वॉर से मात खा रही है.

2. एम्बुश

गुरिल्ला वॉर के जरिए पाक सैनिकों के हथियार और बारूद छीने जाते हैं. इनका इस्तेमाल एम्बुश यानी अचानक हमले में किया जाता है. तालिबानी लड़ाके सड़क पर अचानक पाक काफिले को टारगेट बनाते हैं, सैनिकों को ढेर कर बॉर्डर पार कर जाते हैं. इस तरह जमीनी हमले में वे पाकिस्तान पर भारी पड़ रहे हैं.

3. पहाड़ी इलाकों का फायदा

जैसे नक्सली और आतंकी घने जंगलों में वारदात में माहिर होते हैं, वैसे ही तालिबानी लड़ाके पहाड़ी इलाकों का चप्पा-चप्पा जानते हैं. पाक के टैंक और हेलीकॉप्टर यहां मुश्किल से पहुंच पाते हैं. जबकि TTP लड़ाके बारूद बिछाते हैं, स्नाइपर से हमला करते हैं और पकड़े जाने से पहले ही ठिकाना बदल लेते हैं. अमेरिका जब अफगानिस्तान से गया, तो कई हथियार वहीं छोड़ गया था. उनमें से बहुत से हथियार तालिबान के हाथ लग गए हैं. अब उन्हीं हथियारों का इस्तेमाल कर तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान में तबाही मचा रहे हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com