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पाकिस्तान की उड़ी नींद, भारत और अफगानिस्तान ने की 900 करोड़ की डील, जानें पड़ोसी मुल्क के लिए बड़ा झटका क्यों

India–Afghanistan Trade: तालिबान ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ सीमा संघर्ष के बीच व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया है. अफगान कंपनियों को तीन महीने के भीतर पाकिस्तानी सप्लायर्स के साथ दवा व्यापार संबंध खत्म करने का निर्देश दिया गया है.

पाकिस्तान की उड़ी नींद, भारत और अफगानिस्तान ने की 900 करोड़ की डील, जानें पड़ोसी मुल्क के लिए बड़ा झटका क्यों
  • भारत और अफगानिस्तान की प्रमुख दवा कंपनियों ने सौ मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं
  • जाइडस लाइफसाइंसेज अफगानिस्तान को दवाएं निर्यात करेगा और बाद में स्थानीय दवा उत्पादन शुरू करेगा
  • यह समझौता भारत-अफगानिस्तान संबंधों को मजबूत करने और पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म करने का संकेत है
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अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को एक और झटका दे दिया है. भारत और अफगानिस्तान अपने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को और मजबूत कर रहे हैं और अब भारत और अफगानिस्तान की प्रमुख दवा कंपनियों ने 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता तालिबान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी द्वारा गहरे व्यापार और निवेश संबंधों की तलाश में भारत की एक हाई-प्रोफाइल यात्रा के खत्म होने के कुछ ही दिनों बाद आया है.

अफगानिस्तान की रोफी इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ कंपनीज और भारत की जाइडस लाइफसाइंसेज के बीच दुबई में इस समझौता ज्ञापन पर साइन किया गया है. इसे अफगानिस्तान के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत के पदचिह्न का विस्तार करते हुए वहां की फार्मास्युटिकल क्षमता के पुनर्निर्माण में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है. इस समझौता ज्ञापन पर दुबई में अफगान वाणिज्य दूतावास में साइन किया गया. इस मौके पर अफगान राजदूत और वरिष्ठ वाणिज्यिक अधिकारी मौजूद रहे.

क्या डील हुई है?

अफगानिस्तान के उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत के प्रमुख दवा निर्माताओं में से एक, जeइडस लाइफ साइंसेज, शुरुआत में अफगानिस्तान को दवाएं निर्यात करेगा. समय के साथ, कंपनी अपना प्रतिनिधि कार्यालय अफगानिस्तान में ट्रांसफर कर देगी और वहां घरेलू स्तर पर दवा उत्पादन शुरू कर देगी. अधिकारी पुष्टि करते हैं कि स्थानीय विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) के लिए तकनीकी डेटा और जानकारी का ट्रांसफर पहले ही शुरू हो चुका है.

अफगान वाणिज्य दूतावास ने समझौते को स्वास्थ्य देखभाल मानकों में सुधार, घटिया आयातित दवाओं पर निर्भरता कम करने और अफगान फार्मास्युटिकल सुविधाओं की तकनीकी क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से उन्नत करने के लिए एक परिवर्तनकारी कदम बताया. अफगान व्यापारियों ने भविष्य की रणनीतिक साझेदारी के लिए एक मॉडल के रूप में इस सौदे का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है.

इस डील की टाइमिंग अहम है

इस डील की टाइमिंग अहम है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षण में आया है. तालिबान ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया है. अफगान कंपनियों को तीन महीने के भीतर पाकिस्तानी सप्लायर्स के साथ दवा व्यापार संबंध खत्म करने का निर्देश दिया गया है. इसलिए नए भारत-अफगानिस्तान समझौते को व्यापक रूप से पाकिस्तान के लिए सीधे झटके के रूप में देखा जाता है, जो परंपरागत रूप से अफगानिस्तान के लिए एक प्रमुख पारगमन (ट्रांजिट) और व्यापार केंद्र के रूप में काम करता है.

मंत्री अजीजी ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और राजनयिक जुड़ाव में बड़े विस्तार का आह्वान किया था. इस बात पर जोर देते हुए कि अफगानिस्तान "व्यापार के लिए खुला है," उन्होंने काबुल में भारतीय कंपनियों और राजनयिकों के लिए पूर्ण सुरक्षा गारंटी का आश्वासन दिया था.

100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का यह एमओयू अब उस आउटरीच का पहला ठोस परिणाम है. यह व्यापार साझेदारी में विविधता लाने, नई दिल्ली के साथ रणनीतिक संबंधों को गहरा करने और पाकिस्तानी व्यापार चैनलों पर निर्भरता कम करने के काबुल के इरादे का संकेत देता है.

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