इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के अभियोजकों ने एक अदालत से 2008 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी लश्कर ए तैयबा के संचालन कमांडर जकीउर रहमान लखवी सहित सात लोगों की आवाज के नमूने लेने की अनुमति मांगी है। उनका कहना है कि इससे उनकी अभियोजन प्रक्रिया में तेजी आएगी।
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के विशेष अभियोजक चौधरी जुल्फिकार अली ने इस संबंध में एक याचिका दायर की है जिसे कल इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने नियमित सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।
अभियोजकों ने एक अन्य आवेदन ने अदालत से अनुरोध किया कि संदिग्ध आतंकवादी भारतीय नागरिक फहीम अंसारी को भगोड़ा घोषित किया जाए।
एफआईए की ओर से आवाज के नमूने मांगते हुए दायर की गई याचिका पर दो न्यायाधीशों की पीठ ने सात संदिग्धों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
चौधरी जुल्फिकार अली ने कहा कि आवाज के नूमने सात संदिग्धों को न्याय की जद में लाने में मददगार होंगे। इन सभी के खिलाफ वर्ष 2009 से सुनवायी चल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ने यहां सुनवायी का सामना कर रहे सात संदिग्धों की कथित आवाज के नमूने भेजे हैं। यदि अदालत हमें उनकी आवाज के नमूने लेने की अनुमति दे तो सच सबके सामने आ जाएगा।’’ एफआईए लंबे समय से इन सात आरोपियों की आवाज के नमूने मांग रहा है ताकि भारत द्वारा उपलब्ध कराई गई रिकार्डिंग से उनका तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके।
इस रिकार्डिंग में मुंबई में हमलावरों और कराची में नियंत्रण कक्ष में बैठे उनके आकाओं के बीच का संवाद भी शामिल है।
पाकिस्तान के वर्तमान आतंकवाद निरोधक कानूनों की खामियों का उपयोग करके सात संदिग्धों के वकील ने उनके आवाज के नमूने लेने के पिछले प्रयासों को रोक दिया था।
चौधरी जुल्फिकार अली ने कहा, ‘‘अगर आवाज के नमूनों को नजरअंदाज किया जाता है तो अभियोजन पक्ष आरोपियों को दोषी साबित नहीं कर सकता।’’ इसी से जुड़े घटनाक्रम में एफआईए के अभियोजक चौधरी अजहर ने उच्च न्यायालय से मुंबई हमलों में भारतीय आरोपी फहीम अंसारी को भगोड़ा घोषित करने के लिए कहा।
इससे पहले सात पाकिस्तानी संदिग्धों की सुनवाई कर रही रावलपिंडी की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने अंसारी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
मुंबई की एक अदालत ने मुंबई आतंकी हमले में अंसारी को बरी किया था लेकिन वह अन्य अपराधों के लिए हिरासत में बना हुआ है।
अजहर ने स्वीकार किया कि अंसारी को पाकिस्तानी संदिग्धों ने प्रशिक्षण दिया और मुंबई हमले के लिए भारत भेजा था।
विशेष अभियोजक अली ने कहा कि अंसारी को भगोड़ा घोषित करने से पाकिस्तान में सात आरोपियों के खिलाफ केस को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘अब जबकि अजमल कसाब जीवित नहीं है, अंसारी को अपराधी घोषित करने से आरोपियों के खिलाफ हमारे केस को मजबूती मिलेगी।’’ अली ने कहा कि एफआईए ने वर्ष 2009 में दर्ज की गई प्राथमिकी में कसाब का नाम लिया था।
कसाब को पुणे की एक जेल में पिछले वर्ष फांसी दे दी गई। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने एफआईए के आवेदनों पर सुनवाई की अगली तारीख अप्रैल में तय की है।
संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के विशेष अभियोजक चौधरी जुल्फिकार अली ने इस संबंध में एक याचिका दायर की है जिसे कल इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने नियमित सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।
अभियोजकों ने एक अन्य आवेदन ने अदालत से अनुरोध किया कि संदिग्ध आतंकवादी भारतीय नागरिक फहीम अंसारी को भगोड़ा घोषित किया जाए।
एफआईए की ओर से आवाज के नमूने मांगते हुए दायर की गई याचिका पर दो न्यायाधीशों की पीठ ने सात संदिग्धों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
चौधरी जुल्फिकार अली ने कहा कि आवाज के नूमने सात संदिग्धों को न्याय की जद में लाने में मददगार होंगे। इन सभी के खिलाफ वर्ष 2009 से सुनवायी चल रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ने यहां सुनवायी का सामना कर रहे सात संदिग्धों की कथित आवाज के नमूने भेजे हैं। यदि अदालत हमें उनकी आवाज के नमूने लेने की अनुमति दे तो सच सबके सामने आ जाएगा।’’ एफआईए लंबे समय से इन सात आरोपियों की आवाज के नमूने मांग रहा है ताकि भारत द्वारा उपलब्ध कराई गई रिकार्डिंग से उनका तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके।
इस रिकार्डिंग में मुंबई में हमलावरों और कराची में नियंत्रण कक्ष में बैठे उनके आकाओं के बीच का संवाद भी शामिल है।
पाकिस्तान के वर्तमान आतंकवाद निरोधक कानूनों की खामियों का उपयोग करके सात संदिग्धों के वकील ने उनके आवाज के नमूने लेने के पिछले प्रयासों को रोक दिया था।
चौधरी जुल्फिकार अली ने कहा, ‘‘अगर आवाज के नमूनों को नजरअंदाज किया जाता है तो अभियोजन पक्ष आरोपियों को दोषी साबित नहीं कर सकता।’’ इसी से जुड़े घटनाक्रम में एफआईए के अभियोजक चौधरी अजहर ने उच्च न्यायालय से मुंबई हमलों में भारतीय आरोपी फहीम अंसारी को भगोड़ा घोषित करने के लिए कहा।
इससे पहले सात पाकिस्तानी संदिग्धों की सुनवाई कर रही रावलपिंडी की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने अंसारी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
मुंबई की एक अदालत ने मुंबई आतंकी हमले में अंसारी को बरी किया था लेकिन वह अन्य अपराधों के लिए हिरासत में बना हुआ है।
अजहर ने स्वीकार किया कि अंसारी को पाकिस्तानी संदिग्धों ने प्रशिक्षण दिया और मुंबई हमले के लिए भारत भेजा था।
विशेष अभियोजक अली ने कहा कि अंसारी को भगोड़ा घोषित करने से पाकिस्तान में सात आरोपियों के खिलाफ केस को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘अब जबकि अजमल कसाब जीवित नहीं है, अंसारी को अपराधी घोषित करने से आरोपियों के खिलाफ हमारे केस को मजबूती मिलेगी।’’ अली ने कहा कि एफआईए ने वर्ष 2009 में दर्ज की गई प्राथमिकी में कसाब का नाम लिया था।
कसाब को पुणे की एक जेल में पिछले वर्ष फांसी दे दी गई। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने एफआईए के आवेदनों पर सुनवाई की अगली तारीख अप्रैल में तय की है।
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