वाशिंगटन:
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच 'विश्वास की कमी' के लिए अमेरिका की भारत की ओर झुकाव वाली नीति को जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली के लिए उन्होंने 'खुली तथा स्पष्ट' बातचीत का सुझाव दिया। पूर्व सैनिक तानाशाह ने भारत एवं अफगानिस्तान पर पाकिस्तान की सेना तथा खुफिया एजेंसी को बदनाम करने का आरोप भी लगाया और कहा कि नई दिल्ली काबुल में पाकिस्तान विरोधी सरकार बनाना चाहती है। 'सीएनएन' को लिखे पत्र में मुशर्रफ ने आरोप लगाया कि 1989 के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को छोड़ दिया और उसकी नीति का झुकाव भारत की ओर हो गया। इससे पाकिस्तान के लोगों में यह संदेश गया कि अमेरिका ने उसका 'इस्तेमाल' किया और फिर उसे 'छोड़' दिया। भारत के साथ अमेरिका के परमाणु समझौते को तुष्टिकरण की नीति और पाकिस्तान विरोधी करार देते हुए उन्होंने इसे पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताया। मुशर्रफ ने भारत तथा अफगानिस्तान सरकार पर पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी को बदनाम करने का आरोप भी लगाया। पत्र में उन्होंने लिखा है, "हम जानते हैं कि खासकर कंधार और जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास क्या कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं कि अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी, सेना और विदेश सेवा के कर्मचारी प्रशिक्षण के लिए भारत जाते हैं। कोई भी पाकिस्तान नहीं जाता, जबकि पाकिस्तान ने मेरे कार्यकाल से ही नि:शुल्क प्रशिक्षण का प्रस्ताव दे रखा है।" भारत पर पाकिस्तान विरोधी अफगानिस्तान के निर्माण का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, "केवल अमेरिका ही इस स्थिति में कोई आवश्यक परिवर्तन कर सकता है।" वहीं, भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे के जल्द समाधान पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "विवाद का जल्द तथा मैत्रीपूर्ण समाधान किए जाने की आवश्यकता है। कश्मीर में धार्मिक उग्रवाद को रोकने के लिए यह जरूरी है।" मुशर्रफ ने पाकिस्तान से भी इस बात की सफाई मांगी कि हक्कानी समूह के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही और उत्तरी वजीरिस्तान में सैन्य अभियान कब होगा? अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का पता नहीं लगा पाने के लिए पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसी से ऐसे लोगों को हटा दिया जाना चाहिए जो अल कायदा और तालिबान के खिलाफ लड़ाई की आधिकारिक स्थिति को नहीं मानते।
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अमेरिका, पाक, विश्वास, भारत