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This Article is From Apr 26, 2015

नेपाल में भूकंप के ताजा झटके और बारिश बनी मुसीबत, मरने वालों की संख्या 2,400 के पार पहुंची


काठमांडू : नेपाल में रविवार रात बारिश और भूकंप के बाद के ताजा झटकों से राहत कार्यों में अवरोध पैदा हो रहा है। यहां बचावकर्मियों को इमारतों और घरों के टनों मलबे के नीचे से जीवित लोगों को निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। भूकंप के बाद अब तक 2,400 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें पांच भारतीय हैं। 6,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

बिजली नहीं होने से नेपाल की राजधानी काठमांडू भुतहा शहर सी लग रही है, जहां बारिश शुरू हो जाने से हवाईअड्डे को बंद करना पड़ा है। हवाईअड्डे पर बदहवासी के हालात देखे जा सकते हैं, जहां फंसे हुए विदेशी पर्यटक अपने घर लौटने को व्याकुल हैं।

नेपाली टाइम्स के संपादक कुंदा दीक्षित ने ट्वीट किया, 'अब भी बारिश हो रही है जिससे विपदा और बढ़ेगी। केवल इतनी राहत हो सकती है कि कुछ शरणस्थलों पर पानी के संकट से निपटने में आसानी हो सकती है।' उन्होंने कहा कि नेपाल को तत्काल तंबू और दवाएं चाहिए होंगी।

इससे पहले भूकंप के जबर्दस्त झटके आज फिर आए, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। आज आए झटकों से माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन हुआ। कल माउंट एवरेस्ट पर हुए हिमस्खलन की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 22 हो गई।

रविवार को आए भूकंप के पहले झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.7 मापी गई, जबकि दूसरे झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.5 रही। भूकंप के झटके आते ही लोग खुली जगहों की ओर दौड़ते देखे गये।

इससे पहले शनिवार को 7.9 की तीव्रता से आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई और विपदा का वह भयानक मंजर छोड़ गया है, जिससे पार पाने में तमाम मुश्किलें सामने आएंगी। लोगों ने फिर से झटके आने की आशंका के मद्देनजर सर्द रात खुले में बिताईं।

काठमांडो स्थित नेशनल इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के पास उपलब्ध ताजा आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में मृतकों की संख्या 2,430 पहुंच गई है और 6,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। अकेले काठमांडो घाटी में 1,053 लोगों के मारे जाने की खबर है। जीवित लोगों की तलाश जारी है और अधिकारियों को मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। मृतकों की संख्या दिन भर बढ़ने के बीच यहां सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया।

भारत सहित कई देशों से अंतरराष्ट्रीय राहत दल बचाव कार्य के लिए नेपाल पहुंच गए हैं। आपदा के बाद नेपाल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। कल आए भूकंप को देश के इतिहास में पिछले 81 साल में आया सबसे भयंकर भूकंप बताया जा रहा है।

भारत ने नेपाल में बड़े स्तर पर बचाव और पुनर्वास कार्य में हाथ बंटाया है। भारत ने 13 सैन्य विमान लगाये हैं जो चल अस्पताल, दवाएं, कंबल, 50 टन पानी और अन्य राहत सामग्री लेकर गये हैं। भारत के राष्ट्रीय आपदा राहत बल के 700 से ज्यादा आपदा राहत विशेषज्ञों को तैनात किया गया है।

एक वरिष्ठ अंतर-मंत्रालयी टीम नेपाल का दौरा कर यह आकलन करेगी कि भारत बचाव अभियान में कैसे और बेहतर तरीके से सहायता कर सकता है।

बचावकर्मी अपने हाथों के साथ-साथ भारी उपकरणों से मलबों के नीचे दबे जीवित लोगों की तलाश में जुटे हैं। भूकंप के ताजा झटकों, गरज के साथ बारिश होने, और पर्वत श्रृंखलाओं में हो रही बर्फबारी के कारण बचाव कार्य प्रभावित हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि भारतीय दूतावास के एक कर्मचारी की बेटी सहित पांच भारतीय भूकंप में मारे गए हैं।

जब-जब मलबे के नीचे से जीवित बचे लोगों को बाहर निकाला जाता है, लोग काफी खुशी महसूस करते हैं। हालांकि, ज्यादातर शव ही बाहर निकाले जा रहे हैं।

नेपाल के अन्य इलाकों की तरह काठमांडो आपदा से हुई तबाही की चुनौती से निपटने में मशक्कत कर रहा है। राजधानी की सड़कें और चौराहे मलबे से अटे पड़े हैं। इस मेट्रोपोलिटन इलाके की आबादी करीब 30 लाख है।

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